जैविक खेती

प्राचीन काल में मानव स्वास्थ्य के अनुकुल तथा प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप खेती की जाती थी, जिससे जैविक और अजैविक पदार्थो के बीच आदान-प्रदान का चक्र Ecological system निरन्तर चलता रहा था, जिसके फलस्वरूप जल, भूमि, वायु तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता था। भारत वर्ष में प्राचीन काल से कृषि के साथ-साथ गौ पालन किया जाता था, जिसके प्रमाण हमारे ग्रांथों में प्रभु कृष्ण और बलराम हैं जिन्हें हम गोपाल एवं हलधर के नाम से संबोधित करते हैं अर्थात कृषि एवं गोपालन संयुक्त रूप से अत्याधिक लाभदायी था, जोकि प्राणी मात्र व वातावरण के लिए अत्यन्त उपयोगी था। परन्तु बदलते परिवेश में गोपालन धीरे-धीरे कम हो गया तथा कृषि में तरह-तरह की रसायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है जिसके फलस्वरूप जैविक और अजैविक पदार्थो के चक्र का संतुलन बिगड़ता जा रहा है, और वातावरण प्रदूषित होकर, मानव जाति के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। अब हम रसायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों के उपयोग के स्थान पर, जैविक खादों एवं दवाईयों का उपयोग कर, अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं जिससे भूमि, जल एवं वातावरण शुध्द रहेगा और मनुष्य एवं प्रत्येक जीवधारी स्वस्थ रहेंगे।खेती में अंधाधुंध उर्वरकों के उपयोग से जल स्तर में गिरावट के साथ मृदा की उर्वरता भी प्रभावित हुई है और एक समय बाद खाद्यान्न उत्पादन न केवल स्थिर हो गया बल्कि प्रदूषण में भी बढ़ोतरी हुई है और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हुआ है जिससे सोना उगलने वाली धरती मरुस्थल का रूप धारण करती नजर आ रही है।
जैविक खेती (Organic farming) कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाये रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है। सन् १९९० के बाद से विश्व में जैविक उत्पादों का बाजार काफ़ी बढ़ा है।

 

आम बजट में खेती को भरपूर तरजीह मिलने की संभावना

आम बजट में खेती को भरपूर तरजीह मिलने की संभावना

जलवायु परिवर्तन के जंग से cको लड़ने लायक बनाने की कोशिश में सरकार जुट गई है। किसानों की आय को दोगुना करने और खाद्य सुरक्षा की राह में जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा रोड़ा बनकर खड़ा हो गया है, जिसका असर साल दर साल दिखाई देने लगा है। आगामी वित्त वर्ष के आम बजट में इस चुनौती से निपटने और फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए सरकार का अनुसंधान व विकास पर सबसे ज्यादा जोर होगा। इस मद में आठ सौ करोड़ रुपये के बजट आवंटन की संभावना है। कृषि की सेहत सुधारने के लिए ही सरकार ने पिछले सालों के बजट में कृषि उपकर लगाया था, जिसके नतीजे बेहद उत्साहजनक रहे हैं। खेती को लाभ का सौदा बनाने और खेतिहर की आमदनी को दोगुना करने

जैविक खेती काे अपनाना समय की बड़ी मांगः वसुंधरा राजे

जैविक खेती काे अपनाना समय की बड़ी मांगः वसुंधरा राजे

देश की कृषि काे बचाने के लिए, किसान काे खुशहाल बनाने के लिए और भारत के शहराें में रहने वाले लाेगाें की सेहत काे ध्यान में रखेत हुए अाज जैविक खेती अपनाना समय की सबसे बड़ी जरूरत है। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ग्लाेबल राजस्थान एगरीटेक मीट में मुख्य मेहमान के ताैर पर भाषण देते हुए कहे।

भारत में बढ़ी जैविक खेती - कृषि मंत्री

भारत में बढ़ी जैविक खेती

परंपरागत कृषि विकास योजना ऐसी पहली विस्तृत योजना है, जिसे केन्द्र द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया है। इस योजना का कार्यान्वयन राज्य सरकारें कर रही हैं, जिसका आधार प्रत्येक 20 हेक्टेयर खेत को निर्धारित किया गया है और इसके संबंध में क्लस्टर बनाए गए हैं।
राधा मोहन, कृषि मंत्री

जैविक उत्पादों को बेचने के लिए सरकार ने खोले स्टोरर्स

जैविक उत्पादों को बेचने के लिए सरकार ने खोले स्टोरर्स

पेस्टिसाइट्स के जितने फायदें हैं उससे कई गुना ज्यादा उसके नुकसान हैं। इस बात को अब केंद्र सरकार पूरी तरह से समझ चुकी है। इससे निपटने और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार पहले ही कई योजनाएं चला रही है लेकिन अब इसमें तेजी लाने के लिए सरकार ने एक नई शुरुआत की है, जो कि आने वाले वक्त में भारतीय कृषि की दुनिया में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

नई शुरूआत के तौर पर केंद्र सरकार ने दिल्ली में दो स्टोर खोले हैं जहां से जैविक खेती से जुड़े लगभग सभी उत्पाद मिलेंगे।

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