त्रिपुरा

त्रिपुरा भारत का एक राज्य है। अगरतला त्रिपुरा की राजधानी है। बंगाली और त्रिपुरी भाषा (कोक बोरोक) यहाँ की मुख्य भाषाये है।ऐसा कहा जाता है कि राजा त्रिपुर, जो ययाति वंश का 39 वाँ राजा था के नाम पर इस राज्य का नाम त्रिपुरा पड़ा।
एक मत के मुताबिक स्थानीय देवी त्रिपुर सुन्दरी के नाम पर यहाँ का नाम त्रिपुरा पड़ा। यह हिन्दू धर्म के 51 शक्ति पीठों में से एक है।
इतिहासकार कैलाश चन्द्र सिंह के मुताबिक यह शब्द स्थानीय कोकबोरोक भाषा के दो शब्दों का मिश्रण है - त्वि और प्रा। त्वि का अर्थ होता है पानी और प्रा का अर्थ निकट। ऐसा माना जाता है कि प्रचीन काल में यह समुद्र (बंगाल की खाड़ी) के इतने निकट तक फैला था कि इसे इस नाम से बुलाया जाने लगा।त्रिपुरा राज्‍य का भौगोलिक क्षेत्र 10,49,169 हेक्‍टेयर है। अनुमान है कि 2,80,000 हेक्‍टेयर भूमि कृषि योग्‍य है। 31 मार्च 2005 तक 82,005 हेक्‍टेयर भूमि क्षेत्र में लिफ्ट सिंचाई, गहरे नलकूप, दिशा परिवर्तन, मध्‍यम सिंचाई व्‍यवस्‍था, शैलो ट्यूबवैल और पंपसेटों के जरिए सुनिश्चित सिंचाई के प्रबंध किए गए हैं। यह राज्‍य की कृषि योग्‍य भूमि का लगभग 29.29 प्रतिशत है। 1,269 एल.आई. स्‍कीम, 160 गहरे नलकूप, 27 डाइवर्जन स्‍कीमें पूरी हो चुकी हैं तथा 3 मध्‍यम सिंचाई योजनाओं (i) गुमती (ii) खोवई और (iii) मनु के जरिए कमान एरिया के कुछ भाग को सिचांई का पानी उपलब्‍ध कराया जा रहा है क्‍योंकि नहर प्रणाली का कार्य पूरा नहीं हुआ है।

इस समय राज्‍य की व्‍यस्‍त समय की बिजली की मांग लगभग 162 मेगावाट है। राज्‍य में अपनी परियोजनाओं से 70 मेगावाट बिजली पैदा की जा रही है। लगभग 50 मेगावाट बिजली पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में स्थित केंद्रीय क्षेत्र के विद्युत उत्‍पादन केंद्रों से राज्‍य के लिए आवंटिक हिस्‍से से प्राप्‍त की जाती है। इस प्रकार कुल उपलब्‍ध बिजली लगभग 120 मेगावाट है और व्‍यस्‍त समय में 42 मेगावाट बिजली की कमी पड़ जाती है। इस कमी की वजह से पूरे राज्‍य में शाम को डेढ़ घंटे क्रमिक रूप से बिजली की आपूर्ति बंद कर दी जाती है।

भारत में बढ़ी जैविक खेती - कृषि मंत्री

भारत में बढ़ी जैविक खेती

परंपरागत कृषि विकास योजना ऐसी पहली विस्तृत योजना है, जिसे केन्द्र द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया है। इस योजना का कार्यान्वयन राज्य सरकारें कर रही हैं, जिसका आधार प्रत्येक 20 हेक्टेयर खेत को निर्धारित किया गया है और इसके संबंध में क्लस्टर बनाए गए हैं।
राधा मोहन, कृषि मंत्री

सूखे पड़े हैं देश के जलाशय, बचा है केवल 24% पानी

सूखे पड़े हैं देश के जलाशय, बचा है केवल 24% पानी

एक ताजा रिपोर्ट में बेहद चौंकाने और परेशान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के 91 बड़े जलाशयों में केवल 24 फीसदी पानी ही बचा है। मतलब यह कि इन जलाशयों में कुल 37.92 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी ही बचा है। केंद्रीय जल आयोग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि सात अप्रैल के आंकड़ों के अनुसार इन जलाशयों में जितना पानी है वह पिछले साल से कम है। इस साल इन जलाशयों में पानी की कमी की वजह 2014 और 2015 में हुई कम बारिश है। क्योंकि इन जलाशयों का पानी सिंचाई के लिए होता है, ऐसे में आंकड़ों को देखते हुए लगता है कि इसका असर रबी की फसल के लिए पानी की सप्लाई पर भी पड़ेगा। हालांकि मौसम विभाग

दलीय प्रतिबद्धता से उठकर एक प्रयास 'अन्नदाता' के लिए...

दलीय प्रतिबद्धता से उठकर एक प्रयास 'अन्नदाता' के लिए...

 राष्ट्रीय किसान सभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली में सम्पन्न हुई। जिसमें "कृषि और किसान" विषय पर गोष्ठी हुई और प्रस्ताव पास किया गया।

कार्यकारिणी ने अपने प्रस्ताव में कृषि के लिए अलग से कृषि बजट बनाने, कृषि आयोग गठन करने, किसानों को कृषि कार्य के लिए १ वर्ष के लिए 0% ब्याज पर कृषि ॠण उपलब्ध कराने, ६० वर्ष से ऊपर आयु के किसानों को पेन्शन देने, कृषि का लाभकारी मूल्य देने, तथा फूड प्रोसेसिंग यूनिट ब्लॉक लेवल पर स्थापित करने, कृषि उत्पादन का भण्डारण के लिए ब्लॉक लेवल पर भण्डारण ग्रह बनाने सम्बन्धी मांग की है।