केरल

केरल (मलयालम: കേരളം, केरळम्) भारत का एक प्रान्त है। इसकी राजधानी तिरुवनन्तपुरम (त्रिवेन्द्रम) है। मलयालम (മലയാളം, मलयाळम्) यहां की मुख्य भाषा है। हिन्दुओं तथा मुसलमानों के अलावा यहां ईसाई भी बड़ी संख्या में रहते हैं। भारत की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर अरब सागर और सह्याद्रि पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य एक खूबसूरत भूभाग स्थित है, जिसे केरल के नाम से जाना जाता है। इस राज्य का क्षेत्रफल 38863 वर्ग किलोमीटर है और यहाँ मलयालम भाषा बोली जाती है। अपनी संस्कृति और भाषा-वैशिष्ट्य के कारण पहचाने जाने वाले भारत के दक्षिण में स्थित चार राज्यों में केरल प्रमुख स्थान रखता है। इसके प्रमुख पड़ोसी राज्य तमिलनाडु और कर्नाटक हैं। पुदुच्चेरी (पांडिचेरि) राज्य का मय्यष़ि (माहि) नाम से जाता जाने वाला भूभाग भी केरल राज्य के अन्तर्गत स्थित है। अरब सागर में स्थित केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप का भी भाषा और संस्कृति की दृष्टि से केरल के साथ अटूट संबन्ध है। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व केरल में राजाओं की रियासतें थीं। जुलाई 1949 में तिरुवितांकूर और कोच्चिन रियासतों को जोड़कर 'तिरुकोच्चि' राज्य का गठन किया गया। उस समय मलाबार प्रदेश मद्रास राज्य (वर्तमान तमिलनाडु) का एक जिला मात्र था। नवंबर 1956 में तिरुकोच्चि के साथ मलाबार को भी जोड़ा गया और इस तरह वर्तमान केरल की स्थापना हुई। इस प्रकार 'ऐक्य केरलम' के गठन के द्वारा इस भूभाग की जनता की दीर्घकालीन अभिलाषा पूर्ण हुई। * केरल में शिशुओं की मृत्यु दर भारत के राज्यों में सबसे कम है और स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है (2001 की जनगणना के आधार पर)। * यह यूनिसेफ (UNICEF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मान्यता प्राप्त विश्व का प्रथम शिशु सौहार्द राज्य (Baby Friendly State) है।
केरल की जलवायु
भूमध्यरेखा से केवल 8 डिग्री की दूरी पर स्थित होने के कारण केरल में गर्म मौसम है। लेकिन वन एवं पेड़ पौधों एवं वर्षा की अधिकता के कारन मौसम समशीतोष्ण रहता है। यहाँ की धरती की उच्च-निम्न स्थिति भी जलवायु पर बड़ा प्रभाव डालती है। केरल की जलवायु की विशेषता है शीतल मन्द हवा और भारी वर्षा। प्रमुख वर्षाकाल इडवप्पाति अथवा पश्चिमी मानसून है। दूसरा वर्षाकाल तुलावर्षम अथवा उत्तरी-पश्चिमी मानसून है। प्रत्येक वर्ष करीब 120 से लेकर 140 दिन वर्षा होती है। औसत वार्षिक वर्षा 3017 मिली मीटर मानी जाती है। भारी वर्षा से बाढ़ें आती हैं और जन-धन की हानि भी होती है। दूसरी ओर ऐसी वर्षा के कारण केरल में पर्याप्त कृषि होती है। बिजली का मुख्य उत्पादन भी इस कारण से पनबिजली द्वारा होता है।

सूखे पड़े हैं देश के जलाशय, बचा है केवल 24% पानी

सूखे पड़े हैं देश के जलाशय, बचा है केवल 24% पानी

एक ताजा रिपोर्ट में बेहद चौंकाने और परेशान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के 91 बड़े जलाशयों में केवल 24 फीसदी पानी ही बचा है। मतलब यह कि इन जलाशयों में कुल 37.92 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी ही बचा है। केंद्रीय जल आयोग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि सात अप्रैल के आंकड़ों के अनुसार इन जलाशयों में जितना पानी है वह पिछले साल से कम है। इस साल इन जलाशयों में पानी की कमी की वजह 2014 और 2015 में हुई कम बारिश है। क्योंकि इन जलाशयों का पानी सिंचाई के लिए होता है, ऐसे में आंकड़ों को देखते हुए लगता है कि इसका असर रबी की फसल के लिए पानी की सप्लाई पर भी पड़ेगा। हालांकि मौसम विभाग