बिहार

बिहार भारत का एक प्रशासनिक राज्य है। बिहार की राजधानी पटना है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव संभवत: बौद्ध विहारों के विहार शब्द से हुआ है जिसे विहार के स्थान पर इसके विकृत रूप बिहार से संबोधित किया जाता है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक गिना जाता है।गंगा नदी राज्य के लगभग बीचों-बीच बहती है। उत्तरी बिहार बागमती, कोशी, बूढी गंडक, गंडक, घाघरा और उनकी सहायक नदियों का समतल मैदान है। सोन, पुनपुन, फल्गू तथा किऊल नदी बिहार में दक्षिण से गंगा में मिलनेवाली सहायक नदियाँ है। बिहार के दक्षिण भाग में छोटानागपुर का पठार, जिसका अधिकांश हिस्सा अब झारखंड है, तथा उत्तर में हिमालय पर्वत की नेपाल श्रेणी है। हिमालय से उतरने वाली कई नदियाँ तथा जलधाराएँ बिहार होकर प्रवाहित होती है और गंगा में विसर्जित होती हैं। वर्षा के दिनों में इन नदियों में बाढ़ एक बड़ी समस्या है।

राज्य का औसत तापमान गृष्म ऋतु में 35-45 डिग्री सेल्सियस तथा जाड़े में 5-15 डिग्री सेल्सियस रहता है। जाड़े का मौसम नवंबर से मध्य फरवरी तक रहता है। अप्रैल में गृष्म ऋतु का आरंभ होता है जो जुलाई के मध्य तक रहता है। जुलाई-अगस्त में वर्षा ऋतु का आगमन होता है जिसका अवसान अक्टूबर में होने के साथ ही ऋतु चक्र पूरा हो जाता है। औसतन 1205 मिलीमीटर वर्षा का का वार्षिक वितरण लगभग 52 दिनों तक रहता है जिसका अधिकांश भाग मानसून से होनेवाला वर्षण है।

उत्तर में भूमि प्रायः सर्वत्र उपजाऊ एवं कृषियोग्य है। धान, गेंहूँ, दलहन, मक्का, तिलहन, तम्बाकू,सब्जी तथा केला, आम और लीची जैसे कुछ फलों की खेती की जाती है। हाजीपुर का केला एवं मुजफ्फरपुर की लीची बहुत प्रसिद्ध है|

पाला कर सकता है फसलों को बर्बाद

पाला कर सकता है फसलों को बर्बाद

देश के अलग अलग राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल समेत कई राज्य भयंकर ठंडी की चपेट में हैं. पाला अधिक पड़ने से हाथ-पैरों में गलन शुरू हो गई है. देश के कई हिस्सों में रबी सीजन की फसलों की बुआई लगभग पूरी हो चुकी हैं. ऐसे में पाले से इस फसल की पैदावार पर संकट हो गया है. मौसम और एग्रीकल्चर एक्सपर्ट ने फसल को ठंड से बचाव करने की सलाह दी है. 

पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से बढ़ेगी ठंड

जंगली जानवरों के आतंक से परेशान किसान

जंगली जानवरों के आतंक से परेशान किसान

नीलगाय , बंदर , सुअर और जंगली जानवरों द्वारा फसलों को होने वाले भारी नुकसान से परेशान किसानों ने कुछ स्थानों पर सब्जियों तथा बागवानी फसलों की खेती से मुंह मोडना शुरू कर दिया है ।

15500 करोड़ की हो सकती है पीएम फसल बीमा योजना

15500 करोड़ की हो सकती है पीएम फसल बीमा योजना

इस साल बाढ़, बारिश और सूखे ने किसानों को जमकर रुलाया. किसानों की करोड़ों रुपये की फसल बर्बाद हो गई. किसानो ने केंद्र और स्टेट गवर्नमेंट से राहत मांगी. केंद्र सरकार ने भी दो कदम आगे बढ़कर किसानों को आर्थिक कंपनसेशन दिया. नया साल आने वाला है. आगामी बजट वर्ष 2023-24 की तैयारियां शुरू हो गई है. एग्रीकल्चर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. ऐसे में किसान भी उम्मीद भरी नजरों से आम बजट की ओर से देख रहा है. वहीं केंद्र सरकार भी किसानों को निराश नहीं करेगी. इसी क्रम में बजट को लेकर केंद्र सरकार के स्तर से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. 

लॉकडाउन के चलते किसानों पर समस्या के अम्बार ,खेत से मंडी तक मुसीबत ही मुसीबत

लॉकडाउन के चलते किसानों पर समस्या के अम्बार ,खेत से मंडी तक मुसीबत ही मुसीबत

किसानों की समस्याओं का कोई हल नहीं है।। अब कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लगे लॉकडाउन ने किसानों की कमर झुका दी है। लॉकडाउन के चलते किसान को अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। छोटे किसान, मंझोले और बड़े किसान, सभी की तकरीबन एक जैसी समस्याएं हैं। खेत से लेकर मंडी तक किसान पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। फसल कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। अगर किसी तरह फसल कट गई तो उसे मंडी तक ले जाने का इंतजाम नहीं है।

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