आम की फसल पर भी संकट

बे-मौसम बारिश का असर अन्य फसलों के साथ-साथ आम की फसल पर भी पड़ा है। पहले देर तक ठंड रहने से बौर की सेहत सही नहीं रही, जिससे प्रदेश के आम उत्पादन पर असर पड़ सकता है।आम का गढ़ मलिहाबाद इलाके के मेहमूदपुर गाँव के अजय पाठक (61 वर्ष) की बारिश और चार अप्रैल की सुबह चली आंधी ने चिंता बढ़ा दी है। ”यह साल आम उत्पादकों के लिए मुश्किल भरा रहने वाला है। पहले देर से बौर आया फिर बेमौसम बरसात और आंधी से तमाम बौर झड़ गया है। ऐसे में उत्पादन गिरना लाजिमी है।”

केंद्रिय उपोष्ण बागवानी अनुसंधान के निदेशकडॉ शैलेंद्र राजन ने बताया, ”इस साल ठंड देर तक रही, जिससे दिन के समय गर्मी और सुबह-शाम ठंडक रही और बौर सही से जम नहीं पाया। फिर मार्च में बरसात की वजह से परागण प्रक्रिया में बाधा आती रही। इससे आम का उत्पादन कम रहने वाला है।” डॉ राजन ने आंधी को बौर के लिए कम नुकसानदायक बताते हुए कहा, ”अभी फल का आकार बहुत छोटा है तो आंधी से कोई खास नुकसान नहीं है।” उत्पादन के मामले में अजय पाठक का कहना था, ”हमें हर दस पेटी पर तीन पेटी का नुकसान हो रहा है।”

साल 2013-14 में उत्तर प्रदेश में करीब 4,38,990 टन आम का उत्पादन हुआ, जो देश के कुल उत्पादन का 24.37 फीसदी था।
मोहम्मदपुर के मोहम्मद ताज (50 वर्ष) भी आम के उत्पादन को लेकर चिंतित हैं। वह बताते हैं, ”इस समय तक आम का आकार दो से तीन इंच तक आ जाना चाहिए था, लेकिन अभी उसका आकार मटर के दाने से कुछ ही बड़ा हो पाया है। इस तरह से आम पकने तक इसका आकार भी थोड़ा कम रहेगा।”

डॉ राजन ने आम के नुकसान के बारे में बताते हुए कहा, ”नुकसान का पूरा ठीकरा मौसम पर फोडऩा सही नहीं, इसमें कीट और रोगों से भी फसल को नुकसान हुआ है।” केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र के इंचार्ज और पौध सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ उमेश कुमार ने फसल के अहम समय के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया, ”किसी भी फसल में जब फूल आता है और फल बन रहा होता है, वह समय उसके लिए बड़ा अहम होता है। ऐसे में मौसम सही न हो या कीट और रोग का प्रकोप हो जाए तो फसलोत्पादन निश्चित ही प्रभावित होता है।”