मूंग की खेती करनेसे बढ़ती है भूमि की उर्वरा शक्ति

मूंग की खेती करनेसे बढ़ती है भूमि की उर्वरा शक्ति

 मूंग की खेती करने से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है । इसीके चलते हरियाणा में पानीपत जिले के कृषि विभाग ने मूंग की बिजाई काने का बीड़ा उठा है । विभाग किसानों को बीज, खाद और खरपतवारनाशक देगा, ताकि अधिक से अधिक किसान मूंग की बिजाई कर सकें। मूंग की फसल लेने से भूमि का स्वास्थ्य बेहतर होगा और किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।

 

 

 दरअसल जो खेत 15 मार्च से पहले खाली होंगे, कृषि विभाग उनमें मूंग की बिजाई कराने पर जोर देगा। आमतौर पर गन्ने या सरसों के बाद किसान धान की रोपाई करते हैं, जिससे करीब तीन माह तक खेत खाली रहते हैं, इसलिए कृषि विभाग ऐसे खेतों में मूंग की बिजाई कराने पर जोर दे रहा है, क्योंकि मूंग की बिजाई करने से जमीन उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। ग्रीष्मकालीनमूंग की बिजाई करने वाले किसानों को विभाग 10 किलोग्राम बीज, दो बैग सिंगल सुपर फास्फेट, खरपतवारनाशक 1.3 लीटर पैंडामैथलीन, राईजोबियम और पीएसबी का टीका देगा। 

गौरतलब है कि मूंग की फसल समय के प्रति बहुत संवेदनशील मानी जाती है। मूंग की बिजाई करने से जमीन में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है, क्योंकि मूंग का पौधा हवा से नाइट्रोजन लेकर अपनी जड़ों की इकट्ठा कर लेता है। फसल तैयार होने से बाद किसान पौधे को काट लेते हैं, जबकि जड़ें जमीन में ही रह जाती हैं, जिससे जमीन में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मूंग के बाद ली जाने वाली फसल में यूरिया कम डालना पड़ता है, इसलिए खेत खाली छोड़ने के बजाय किसानों को मूंग की बिजाई करनी चाहिए। महत्वपूर्ण बात यह है कि मूंग की फसल 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है। मूंग की खेती से किसान को दोहरा फायदा मिलेगा