नरमे पर अब पत्ता मरोड़ की आफ़त सहमे किसान

नरमे पर अब पत्ता मरोड़ की आफ़त सहमे किसान

सफेद मक्खी के बाद अब नरमे की फसल पर पत्ता मरोड़ बीमारी ने आक्रमण कर  दिया है। कृषि विशेषज्ञ भी इस बात को मानते हैं कि पत्ता मरोड़ बीमारी ने नरमे की फसल को खासा नुकसान हो रहा है, लेकिन फिलहाल उनके पास भी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। कृषि विभाग अब इस बात का सर्वे करेगा कि पत्ता मरोड़ बीमारी ने  कितनी एकड़ जमीन पर नरमे की फसल को प्रभावित किया है।

पत्ता मरोड़ ऐसे तबाह करती है नरमे की फसल को
नरमे के पौधे पर सफेद मक्खी बैठती है तो वहां पर वह अपना मल छोड़ देती है। मल के प्रभाव में आने से पौधा निढाल हो जाता है और पत्ते पीले पड़ जाते हैं। धीरे-धीरे पत्ता मुड़ जाता है और तना जमीन पर बिछ जाता है। हालांकि अभी नरमे के पौधे पर एक-दो सफेद मक्खी ही देखी गई है, इसलिए मक्खी की बजाए पत्ता मरोड़ बीमारी अधिक प्रकोप दिखा रही है।

सफेद मक्खी की आशंका से पहले ही घटा नरमे का रकमा
 2015 से इस वर्ष  नरमा का रकबा 30% कम है। पिछले साल नरमे पर सफेद मक्खी के प्रकोप का असर इस साल साफ तौर पर नरमे के कुल रकबे पर पड़ा पिछले कई दिनों से नरमे का पौधा पीला पड़कर मुड़कर धरती पर गिर जाता है। उन्होंने बताया कि ये पत्ता मरोड़ बीमारी है।
kisanhelp के संरक्षक श्री आर.के .सिंह जी बताते हैं कि सफेद मक्खी का आसानी से इलाज किया जा सकता है सफ़ेद मक्खी या पत्ता मरोड़ जिन पौधों पर दिखे उन्हें तुरन्त तोड़ कर मिटटी में दबा देना चाहिए सफ़ेद मक्खी के लिए जैविक रूप से काड़ा बनाकर रोकथाम करें 
जैविक उपचार 
 
20 लीटर गौमूत्र में 5 किलो नीम की पत्ती , 3 किलो धतुरा की पत्ती और 500 ग्राम तम्बाकू की पत्ती, 1 किलो बेशर्म की पत्ती  2 किलो अकौआ  की पत्ती  200 ग्राम अदरक की पत्ती (यदि  नही मिले तो 50ग्राम अदरक) 250ग्राम लहसुन 1 किलो गुड 25 ग्राम हींग  150 ग्राम  लाल मिर्च डाल कर तीन दिनों के लिए छाया में रख दें  यह घोले 1 एकड़ के लिए तैयार है इसे दो बार में 7-10 दिनों के अन्तेर से छिद्काब करना है प्रति 15 लीटर पानी में 3 लीटर घोल मिलाना है छिद्काब पूरी तरह से तर करके करना होगा  नाइट्रोजन का प्रयोग बिल्कल ही नही करें  यह  जहर  का कार्य करती है 

सफेद मक्खी थ्रिप्स माईट को कन्ट्रोल करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्लू एस 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार करे। सफेद मक्खी के लिए ट्राईजोफास 40 ईसी की दर से छिड़काव करे। एक ही रसायन कीटनाशक का बार बार उपयोग नही करे। दो या दो से अधिक कीटनाशक एवं हार्मोन्स, खरपतवार नाशक को मिलाकर नही छिड़कना चाहिए। मिर्च के खेत के आसपास चारो ओर ज्वार-मक्का की दो कतारे लगाना भी लाभदायक होता है।