मिट्टी में जीवांश कार्बन की कमी से घट रही पैदावार

मिट्टी में जीवांश कार्बन की कमी से घट रही पैदावार

इस बार रबी फसलों की कटाई में उत्पादन एवं उ‌त्पादकता में कमी के संकेत मिले हैं। इसकी मुख्य वजह प्रदेश की मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की भारी कमी है। इसका खुलासा होने के बाद अब कृषि विभाग ने मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए एक आर्गेनिक कार्बन मिशन के गठन की तैयारी तक शुरू कर दी है।

पिछले सालों में चली मृदा परीक्षण अभियान की रिपोर्ट खंगाली गई तो यह खुलासा हुआ है। पता चला कि खेतों को स्वस्थ रखने वाला जीवांश कार्बन मिट्टी से गायब हो चुका है। यह हालत एक-दो जिलों की नहीं बल्कि प्रदेश के सभी 75 जिलों की है। यहां मिट्टी में बमुश्किल से 0.25 प्रतिशत ही जीवांश कार्बन है जबकि मानक 0.8 प्रतिशत है।
क्या है जैविक कार्बन

वातावरण में मुक्त कार्बन डाई ऑक्साइड को पौधे कार्बन के जैविक रूप जैसे शर्करा, स्टार्च, सेल्यूलोज आदि कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित करते हैं। इस प्रकार प्राकृतिक रूप से पौधों की जड़ों में एवं अन्य पादप अवशेषों में मौजूद कार्बन इन अवशेषों के विघटन के बाद मृदा कार्बन के रूप में संचित होता है। इसे ही मृदा जैविक या जीवांश कार्बन कहा जाता है।

जैविक कार्बन के महत्व:

कार्बन पदार्थ कृषि के लिए बहुत लाभकारी है, क्योंकि यह भूमि को सामान्य बनाए रखता है। यह मिट्टी को ऊसर, बंजर, अम्लीय या क्षारीय होने से बचाता है। जमीन में इसकी मात्रा अधिक होने से मिट्टी की भौतिक एवं रासायनिक ताकत बढ़ जाती है तथा इसकी संरचना भी बेहतर हो जाती है। साथ ही जल को अवशोषित करने की क्षमता भी बढ़ जाती है।

कार्बनिक पदार्थ मिशन के गठन की तैयारी:

इस प्रस्तावित संगठन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग को रोकना होगा। यह प्रयास करेगा कि कम्पोस्ट एवं हरी खाद के प्रयोगों को बढ़ावा दिया जाए। धान के बाद गेहूं वाले फसल चक्र में बदलाव कराया जाए और फसल अवशेषों को जलाने की परम्परा को कड़ाई से रोका जाए।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से मिट्टी में मौजूद कार्बन की मात्रा सबसे खतरनाक न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है। इसमें सुधार के लिए प्राकृतिक और जैविक खेती की ओर हमें हर हाल में लौटना होगा। इसके लिए ऐसी कार्ययोजना बने जिससे पर्यावरण सहयोगी तकनीकों का प्रयोग कर कृषि उत्पादन किया जा सके।
किसान हैल्प के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आर के सिंह जी कहा कि कार्बन की कमी के कारण लगातार उत्पादन में कमी आ रही है जिसके कारण किसान भाई अनावश्यक रूप से रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं।कार्बन जीवांश बढ़ाने के लिए किसान लगातार हरी खाद की बुबाई करें।जैविक स्वरुप में खादों का प्रयोग करें।स्वम की बनाई खाद ,गोबर की खाद,चीनी मिल द्वारा निकला प्रेसमेड़, ह्यूमिक(सर्वोत्तम साडावीर) का लगातार प्रयोग करें।सीबीड(साडा वीर 4G) का प्रयोग हर फसल पर करें।
-डॉ. शालिनी सिंह, जैविक विशेषज्ञ एवं निदेशक, एमिटी विश्वविद्यालय, लखनऊ