कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को 05 अपैल, 2015 तक निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।

1. 3 तथा 4 अपैल को दिल्ली राष्टीय राजधानी के अधिकतर क्षेत्रों में वर्षा होने की सम्भावना को ध्यान में रखते हुए पूर्ण रूप से पके तोरिया या सरसों फसल की अतिशीघ्र कटाई करें। तथा कटी हुए फसल को ढक कर रखें । 75-80 प्रतिशत फली का रंग भूरा होना ही फसल पकने के लक्षण हैं। फलियों के अधिक पकने की स्थिति में दाने झड़ने की संभावना होती है। गहाई के बाद फसल अवशेषों को नष्ट कर दें, इससे कीट की संख्या को कम करने में मदद मिलती है।
2. वर्तमान तापमान मूंग और उड़द की फसल की बुवाई हेतु उपयुक्त है । अत: किसान भाई उन्नत बीजों की बुवाई शुरू करें। मूंग – पूसा विशाल, पूसा 9351, एस एम एल-668; उड़द – पंत उड़द 19, पंत उड़द 30, पंत उड़द 35, पी डी यू 1। बुवाई से पूर्व बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें।
3. चने की फसल में फलियाँ बन रही है तब फली छेदक कीट के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें। चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी हेतु फिरोमोन प्रपंश @ 2-3 प्रपंश प्रति एकड़ की दर से लगाएं। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड़ कीटनाशी 48 ई.सी. @ 1 मि.ली./ 4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
4. इस मौसम में सब्जियों में चेपा के आक्रमण की निगरानी करते रहें। वर्तमान तापमान में यह कीट जल्द ही नष्ट हो जाते हैं। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो इमिडाक्लोप्रिड़ @ 0.25 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से पके फलों की तुड़ाई के बाद छिड़काव आसमान साफ होने पर करें। सब्जियों की फसलों पर छिड़काव के बाद कम से कम एक सप्ताह तक तुड़ाई न करें। बीज वाली सब्जियों पर चेपा के आक्रमण पर विशेष ध्यान दें।
5. इस मौसम में बेलवाली सब्जियों में लाल भृंग कीट के आक्रमण की संभावना रहती है, यदि कीट की संख्या अधिक हो तो ड़ाईक्लोरवाँस 76 ई.सी. (डी.डी.वी.पी.)@ 1 मि.ली./लीटर पानी की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।
6. बेलवाली सब्जियां जो 20 से 25 दिन की हो गई हो तो उनमें 10-15 ग्राम यूरिया प्रति पौध डालकर गुड़ाई करें।
7. वर्तमान तापमान फ्रेंच बीन, सब्जी लोबिया, चौलई, भिंण्डी, लौकी, खीरा, तुरई आदि तथा गर्मी के मौसम वाली मूली की सीधी बुवाई हेतु अनुकूल है, क्योंकि, बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान उपयुक्त हैं। उन्नत किस्म के बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से लेकर बुवाई करें।
8. इस मौसम में समय से बोयी गई प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें। कीट के पाये जाने पर कार्बारिल @ 2 ग्रा. या इमिडाक्लोप्रिड़ @ 0.25 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से किसी चिपचिपा पदार्थ (स्टीकाल, टीपाल आदि) के साथ मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें। 
9. बैंगन तथा टमाटर की फसल को प्ररोह एवं फल छेदक कीट से बचाव हेतु ग्रसित फलों तथा प्रोरहों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें। साथ ही कीट की निगरानी हेतु फिरोमोन प्रपंश @ 2-3 प्रपंश प्रति एकड़ की दर से लगाएं। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड़ कीटनाशी 48 ई.सी. @ 1 मि.ली./4 लीटर पानी की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।
10. इस तापमान में मक्का चारे के लिए (प्रजाति– अफरीकन टाल) तथा लोबिया की बुवाई की जा सकती है। बेबी कार्न की एच एम-4 की भी बुवाई कर सकते हैं।
11. मौसम को ध्यान मे रखते हुए किसान भाईयों को सलाह है कि गेंदे की ग्रीष्मऋतु के लिये तैयार पौध की रोपाई (45x45 से.मी.) की दूरी पर करें।
12. अनाज को भंडारण में रखने से पहले भंडार घर की अच्छी तरह सफाई करें तथा अनाज को अच्छी तरह से सुखा लें एवं कूड़े-कचरे को जला या दबा कर नष्ट कर दें। भंडारघर की छ्त, दीवारों और फर्श पर एक भाग मेलाथियान 50  ई.सी.को 100 भाग पानी में मिला कर छिड़काव करें। यदि पुरानी बोरियां प्रयोग करनी पड़े तो उन्हें एक भाग मेलाथियान व 100 भाग पानी के घोल में 10 मिनट तक भिगो कर छाया में सुखा लें।
13. रबी फसल यदि कट चुकी है तो उसमें हरी खाद के लिए खेत में पलेवा करें। हरी खाद के लिए ढ़ेचा, सनई अथवा लोबिया की बुवाई की जा सकती है। परंतु बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।

भा. कृ. अनु. प. -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली