रसोई गैस के साथ खाद भी तैयार करें किसान

देश के निर्माण में वैदिक कल से अब तक किसान की भूमिका सर्वोपरि रही है लेकिन खेती की बढती लागत और दैनिक खर्च ने किसानों को मजदूर बनने पर विवश कर दिया है यह बात तो हम सब जानते ही हैं कि हमारे देश में किसानों की जो दो मुख्य समस्याएं हैं, उनमें पहली है उर्वरक तथा दूसरी है ईंधन की कमी। सच तो यह है किसानों को गोबर और लकड़ी के अलावा अन्य दूसरा कोई पदार्थ सुगमता से उपलब्ध नहीं है।बायोगैस संयंत्र इन दोनों समस्याओं से निज़ात दिला सकता है जिससे घर में भोजन बनाने के लिए पर्याप्त ईंधन और खेत के लिए फायदे बाली खाद दोनों ही आसानी से मिल सकती हैं । बायोगैस संयंत्र से गैस तो मिलती ही है,घर में बिजली भी जलाई जाती है और भोजन भी तैयार किया जाता है। इससे गोबर की खाद भी निकलती है। यह खाद जमीन के लिए भी बहुत अधिक फायदेमंद है, क्योंकि गोबर की खाद जमीन को बहुत उपजाऊ बनाती है।

अगर किसान गोबर का उपयोग खाद के रूप में करता है तो फिर उसे खाना पकाने के लिए ईंधन की समस्या खड़ी हो जाती है। यह बात भी हम सब जानते हैं कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति ज्यादा फसल पैदा करने से काफी कमजोर हो गई है। रासायनिक खादों के ज्यादा इस्तेमाल करने की वजह से भी हमारा पर्यावरण भी दूषित हो रहा है। इस तरह की दिक्कतों का समाधान तभी हो सकता है जब हम गोबर का दोहरा प्रयोग करना शुरू करें।

यह भी सच है कि गोबर में ऊर्जा बहुतायत में होती है, जिसको गोबर गैस प्लांट में फर्मेंटेशन (किण्वन) करके निकाला जा सकता है। इससे पैदा हुई नई ऊर्जा का उपयोग हम ईंधन, प्रकाश और कम हॉर्स पॉवर के डीजल इंजन को चलाने में भी कर सकते हैं। ऐसे में इस तरह का प्लांट लगाने में किसानों को ईंधन व खाद दोनों की बचत होती है।

घरेलू के साथ कृषि कार्यों में उपयोगी बायोगैस

बायोगैस ऊर्जा का एक ऐसा स्रोत है, जिसका बारंबार इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका उपयोग सिर्फ घरेलू कार्यों के लिए ही नहीं, कृषि कार्यों के लिए भी किया जा सकता है। इसका मुख्य घटक हाइड्रो-कार्बन है, जो ज्वलनशील है और जिसे जलाने पर ताप और ऊर्जा मिलती है। बायोगैस का उत्पादन एक जैव-रासायनिक प्रक्रिया द्वारा होता है, जिसके तहत कुछ विशेष प्रकार के बैक्टीरिया जैविक कचरे को उपयोगी बायोगैस में बदला जाता है।

समतल जमीन पर तैयार करें बायोगैस प्लांट

बायोगैस के दो मुख्य मॉडल होते हैं: फिक्स्ड डोम (स्थायी गुंबद) टाइप और फ्लोटिंग ड्रम (तैरता हुआ ड्रम) टाइप।

अगर बायोगैस संयंत्र का निर्माण करने को सोच रहे हैं , तो आपको कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए जैसे,

  • जगह का चुनाव करते समय थोड़ी सतर्कता बरतनी चाहिए और जमीन समतल और अगल-बगल से थोड़ी ऊंची होनी चाहिए, जिससे वहां जल जमाव न हो सके। जमीन की मिट्टी ज्यादा ढीली न हो और उसकी ताकत दो किग्रा प्रति सेमी दो होनी चाहिए। 
  • संयंत्र का स्थान गैस के इस्तेमाल की जानेवाली जगह के नजदीक हो (घर या खेत)। यह जानवरों के रखे जानेवाले स्थान से भी नजदीक होनी चाहिए, जिससे गोबर इत्यादि के लाने-ले जाने में दिक्कत न हो।
  • पानी का स्तर ज्यादा ऊंचा नहीं होना चाहिए। संयंत्र वाली जगह पर पानी की पर्याप्त सुविधा होनी चाहिए। 
  • संयंत्र को दिन भर पर्याप्त धूप मिलनी चाहिए। 
  • संयंत्र स्थल में हवा आने-जाने की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। संयंत्र और किसी अन्य दीवार के बीच कम से कम 1.5 मीटर का फासला हो। 
  • संयंत्र को किसी वृक्ष से भी दूर रखना चाहिए, ताकि उसकी जड़ें इसमें न घुस सकें।
  • संयंत्र को कुएं से कम से कम 15 मीटर की दूरी पर होना चाहिए।

तीन घनमीटर गैस उत्पादन के लिए चार जानवरों की जरूरत

  • अब बात आती है कच्चे पदार्थों की उपलब्धता के बारे में। कच्चे पदार्थों की उपलब्धता पर ही बायो गैस संयंत्र का आकार निर्भर करता है। यह माना जाता है कि जानवर से प्रतिदिन 10 किलो गोबर मिलता है। गोबर से औसतन 40 लीटर किलो गैस का उत्पादन होता है। अत: तीन घन मीटर बायोगैस उत्पादन के लिए 75 किग्रा गोबर की आवश्यकता पड़ेगी, जिसके लिए कम से कम चार जानवरों की जरूरत पड़ेगी।
  • प्राकृतिक रूप से प्राणियों के मृत शरीर और वनस्पति विघटित होकर सेंद्रिय खाद के रूप में मिट्टी में मिल जाते है। विघटन की यह प्रक्रिया सूक्ष्म जीवाणुओं, बैक्टीरिया, फफूंद (फंगस) आदि के द्वारा की जाती है। इस विघटन की प्रक्रिया में गैस का निर्माण भी होता है। इस गैस को बायोगैस कहते है।
  • सच तो यह है कि भोजन पकाने के अतिरिक्त गैस से और दूसरे कार्य भी लिए जा सकते है- जैसे रात में प्रकाश के लिए। डीजल इंजन  चलाने के लिए गैस का प्रयोग करके 80-85 प्रतिशत डीजल की बचत की जा सकती है। डीजल इंजन से पानी के पम्पसेट, कुट्टी मशीन, आटा(पीसने की) चक्की आदि भी चलाए जा सकते है। बिजली उत्पादन के लिए। उन सभी कार्यो में जहां ऊर्जा की आवश्यकता होती है जैसे वेल्डिंग आदि।

आओ देश की उर्जा एवं ईंधन को बचाए देश को प्रदूषण से बचाएं देश को तरक्की की ओर ले जाएँ 
एक स्वच्छ और सम्पन्न भारत का निर्माण करें