रेल बजट खत्म, अब शुरू होगा कृषि बजट!

रेल बजट खत्म, अब शुरू होगा कृषि बजट!

रेल बजट अलग से पेश करने की शुरुआत अंग्रेजों ने की थी। 1855 में भारत में रेल शुरू हुई। फिर इसका लगातार विस्तार हुआ। 1920 के दशक के बाद से ऐकवर्थ कमेटी ने भारत में रेलवे के विस्तार के लिए अलग रेल बजट प्रस्तुत करने की सिफारिश की थी ताकि भारत की जरूरतों को देखते हुए रेलवे अपने विस्तार की योजना खुद बनाए और अपने लिए संसाधन भी जुटाए। 1924 में इस पर अमल शुरू हुआ तब से यह परंपरा चली आ रही है जो अब तक बदस्तूर जारी है जिस पर शायद अब ब्रेक लग जाए।नीति आयोग की सिफारिश को अगर मान लिया गया तो 92 साल से चली आ रही परंपरा खत्म हो जाएगी। रेलवे की सेहत सुधारने के लिए लगातार कोशिश हो रही है। रेलवे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इससे कृषि और उद्योग सीधे तौर पर जुड़े हैं।इस साल से रेल बजट का आम बजट में विलय होने जा रहा हो, लेकिन संसद में दो बजट पेश होने का दस्तूर आगे भी बना रह सकता है। अंतर इतना होगा कि रेल बजट की जगह कृषि बजट पेश किया जाएगा।

भले ही इस साल से रेल बजट का आम बजट में विलय होने जा रहा हो, लेकिन संसद में दो बजट पेश होने का दस्तूर आगे भी बना रह सकता है। अंतर इतना होगा कि रेल बजट की जगह कृषि बजट पेश किया जाएगा। केंद्र सरकार इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसे वर्ष 2018 के आम बजट से पहले पेश किया जा सकता है। मालूम हो, वर्ष 2019 में आम चुनाव होने हैं। 

 

सबसे पहले मध्य प्रदेश में अलग बजट की शुरुआत की थी। हालांकि बाद में इसे राज्य बजट में ही जोड़ दिया गया।  केंद्रीय वित्त मंत्रालय के एक उच्च पदस्थ सूत्र के मुताबिक, सरकार इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है। संबंधित मंत्रालयों से इस पर चर्चा हो रही है, जल्द ही इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। सूत्र के मुताबिक, सरकार का मानना है कि पांच साल में किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए कृषि क्षेत्र पर विशेष फोकस बेहद जरूरी है। ऐसे में कृषि के समर्पित अगल बजट बडी़ भूमिका निभा सकता है।

kisanhelp के संरक्षक श्री सिंह ने कहा कि शायद अब अच्छे दिन आयेंगे किसानों के हालात भी सुधरेंगे I देश में अंग्रेजों के बनाये नियम को बदला जा रहा है अब तक किसान सिर्फ लगान बसूल करने का एक जरिया हुआ करता था अब तक के इतिहास में सबसे अच्छा निर्णय कहा जायेगा हम सरकार के फैसले और नीति आयोग की सिफारिश का स्वागत करते हैं ,खेती किसानी की अब चर्चा अलग से हुआ करेगी I