खेत और खेती को खत्म करती रासायनिक खाद
Submitted by Aksh on 9 April, 2015 - 00:27कृषि अब पर्यावरण असंतुलन की मार भी झेल रही है। रासायनिक उर्वरकों के बेइंतिहा इस्तेमाल से खेत बंजर हो रहे हैं और सिंचाई के पानी की कमी हो चली है। साठ के दशक में हरित क्रांति की शुरुआत के साथ ही देश में रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशक दवाओं, संकर बीजों आदि के इस्तेमाल में भी क्रांति आयी थी। केंद्रीय रासायनिक और उर्वरक मंत्रालय के रिकॉर्ड के मुताबिक सन् 1950-51 में भारतीय किसान मात्र सात लाख टन रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करते थे जो अब बढ़कर 240 लाख टन हो गया है। इससे पैदावार में तो खूब इजाफा हुआ, लेकिन खेत, खेती और पर्यावरण चौपट होते चले गये। करीब साल भर पहले इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर, विश्व भार