Aksh's blog

मिट्टी के लिए कृषि रसायन कितने सुरक्षित हैं

कृषि रसायन

इसमें सन्देह नहीं कि निरन्तर बढ़ती जनसंख्या के लिए भोजन उपलब्ध कराने हेतु भूमि के प्रति इकाई भाग से अधिकाधिक उपज लेना अनिवार्य हो गया है। कृषि के पुराने तरीके बढ़ती खाद्य सामग्री की मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं थे। फलस्वरूप कृषि के आधुनिक तरीकों (जिनमें रासायनिक उर्वरक तथा कीटनाशी रसायनों का उपयोग भी शामिल है) को अपनाना आवश्यक समझा गया। यह सच है कि फसलों से अच्छी उपज लेने के लिये रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशी रसायनों के अतिरिक्त अन्य कोई साधन तुरन्त कारगर नहीं हैं किन्तु इन विषैले रसायनों के प्रति सजग और सचेष्ट रहना समय की मांग है।

आफत में अन्नदाता सफेद मक्खियों का आतंक

 सफेद मक्खियों का आतंक

 किसानो के हित को ध्यान में रखते हुए  सफेद मक्खियों का आतंक से निपटने के लिए kisan help line के  विशेषज्ञों ने कार्य किया काफी हद तक सफलता भी पाई  पंजाब में पिछले कुछ दिनों से अन्न्दाताओं द्वारा रेल रोको आंदोलन चलाया जा रहा है। रेल व्यवस्था इसलिए ठप की गई है,क्योंकि पंजाब में एक विशेष प्रजाति की सफेद मक्खी ने ऐसा आतंक मचाया कि कपास की फसल पूरी तरह चौपट हो गई। जबकि अन्नदाताओं ने फसल बचाने के लिए करीब 150 करोड़ रुपए के कीटनाशकों का प्रयोग किया था। पर ज्यादातर कीटनाशक बेअसर रहे,क्योंकि नकली थे। यहां तक कि पंजाब सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए कीटनाशक भी असरकारी साब

कृषि ही है बेरोजगारी का अन्तिम समाधान

कृषि ही  है बेरोजगारी का अन्तिम समाधान

बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवा कृषि जागरूकता अभियानों का लाभ उठाकर फल, सब्जियों, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन एवं मशरूम के उत्पादन द्वारा आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाने के साथ-साथ प्रदेश को अनाज, सब्जियों एवं फल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में अपना सक्रिय योगदान दे सकते हैं…

अरे अब तो जागो क्योकि कीटनाशक बने मानवनाशक

कीटनाशक बने मानवनाशक

अच्छेजा गाँव में बीते पाँच साल में दस लोग इस असाध्य बीमारी से असामयिक काल के गाल में समा चुके हैं। अब अच्छेजा व ऐसे ही कई गाँवों में लोग अपना रोटी-बेटी का नाता भी नहीं रखते हैं। दिल्ली से सटे पश्चिम उत्तर प्रदेश का दोआब इलाका, गंगा-यमुना नदी द्वारा सदियों से बहाकर लाई मिट्टी से विकसित हुआ था। यहाँ की मिट्टी इतनी उपजाऊ थी कि पूरे देश का पेट भरने लायक अन्न उगाने की क्षमता थी।

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