जैविक खेती का अर्थशास्त्र
Submitted by Aksh on 23 September, 2015 - 22:49हम यह मानते रहे हैं कि जैविक खेती और इसके उत्पाद सीधे खेत और किसानों से हमारी रसोई में आयेंगे परन्तु अब यह सच नहीं है। जैसे-जैसे यह तर्क स्थापित हुआ है कि हमें यानी उपभोक्ता को साफ और रसायनमुक्त भोजन चाहिये; वैसे-वैसे देश और दुनिया में बड़ी और भीमकाय बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने जैविक खेती और जैविक उत्पादों के व्यापार को अपने कब्जे में लेना शुरू कर दिया। भारत में पारम्परिक रूप से जैविक उत्पाद सामान्यतः सीधे खेतों से लोगों तक पहुंचे हैं। हमारे यहां हाईब्रिड और देशी टमाटर या लोकल लौकी जैसे शब्दों के साथ ये उत्पाद बाजार में आते रहे हैं पर अब बड़ी कम्पनियों ने इस संभावित बाजार पर अपना नियंत्रण जमा