Aksh's blog

जैविक कीटनाशक का प्रयोग उत्तम भविष्य की शुरुआत

 जैविक कीटनाशक

हमारी देश की ७०% जनसंख्या आज भी खेती पर निर्भर है हमारे किसान बंधू   फसल पैदावार बढ़ाने के लिए किसान उन्नत बीज, संतुलित खाद व ¨सचाई आदि सभी संभव प्रयास करते हैं, फिर भीकई बार उन्हें निराशा हाथ  लगती है कारण  फसल में रोग व कीटों का प्रकोप। उनकी रोकथाम के लिए किसान रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं, जो फसल और भूमि के साथ-साथ किसानों के लिए भी हानिकारक है। कीटनाशकों से जहां फसल के जरिए कुछ विषैले तत्व मनुष्य के शरीर में पहुंचते हैं, वहीं कीटनाशकों के छिड़काव के दौरान कई किसान अपनी जान भी गंवा बैठते हैं । कीटनाशकों के विषैले तत्व हमारे पर्यावरण को भी प्रभवित करते है  नतीजा ........

किसानों के सुनहरे भविष्य के लिए लाभकारी टिकाऊ खेती

 किसानों के सुनहरे भविष्य के लिए लाभकारी टिकाऊ खेती

आज देश में बढ़ती हुयी जनसंख्या को पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. वही बिगत साठ वर्षो से प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से हमने बहुत कुछ खो दिया है. दिन प्रतिदिन नई तकनीकों का प्रयोग करके अधिक उत्पादन की चाह में हमने पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण को मिट्टी प्रदूषण को बढ़ावा दिया है. एक ही खेत में लगातार धान्य फसलों के सघन खेती करने से तथा असंतुलित उर्वरकों एवं रसायनिक कीटनाशी के प्रयोग से मृदा संरचनाए, वायु संचार की दशा तथा मिट्टी जैविक पदार्थ में लगातार गिरावट आयी है. कृषि में रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से जहां खेती की लागत में वृद्धि हुयी है.

सहिजन और अजवाइन सस्ते-सुलभ वाटर प्यूरीफायर

सहिजन और अजवाइन सस्ते-सुलभ वाटर प्यूरीफायर

देश में क्लोरीन से, उबालकर, फिटकरी से और न जाने किन-किन तरीकों से पानी शुद्ध करने की विधियां प्रचलित हैं। यहां आपको दो आयुर्वेदिक विधियां बताई जा रही हैं जो आपके पीने के पानी को न सिर्फ शुद्ध करेंगी बल्कि उसे एक टॉनिक के रूप में भी बदल देंगी। यह पानी जो जीवन देता है यही जब प्रदूषित हो जाता है तो जीवन ले भी लेता है। बरसात के मौसम में उफनती हुई नदियां, तालाब, पोखरे न जाने कहां-कहां की और कैसी-कैसी गंदगियां बहाए लिए आ रहे हैं, हम नहीं जान पाते। नल और बोरिंग से आने वाला पानी कितना शुद्ध है, यह भी आम आदमी को ज्ञात नहीं। वाटर प्यूरीफायर तो शायद देश की पूरी आबादी का एक प्रतिशत भी प्रयोग नहीं करता

शिकंजे में जैविक खेती

 शिकंजे में जैविक खेती

जरा सोचिए, देश के किसी दूर-दराज इलाके का छोटा किसान जिसकी रोजी-रोटी एक एकड़ से भी कम खेती पर टिकी है और जो ज्यादा महंगे उरर्वक डालने के बजाए परंपरात खेती के भरोसे है, उसे जैविक खेती करने वाला किसान कहलाने के लिए क्या करना पड़ेगा?

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