जैव-विविधता क्षरण का गहराता संकट संरक्षण समय की सबसे बड़ी आवश्यकता
Submitted by Aksh on 21 May, 2015 - 23:13जैव-विविधता अथवा जैविक-विविधता जीवों के बीच पायी जाने वाली विभिन्नता है जो कि प्रजातियों में, प्रजातियों के बीच और उनकी पारिस्थितिकतंत्रों की विविधता को भी समाहित करती है। सर्वप्रथम जैव-विविधता शब्द का प्रयोग आज से लगभग 25 वर्ष पूर्व वाल्टर जी0 रासन ने 1985 में किया था। जैव-विविधता के तीन स्तर होते हैं। (i) आनुवंशिक विविधता, (ii) प्रजातीय विविधता; तथा (iii) पारस्थितिकतंत्र विविधता।