पानी की कमी रही तो नहीं फूटेंगे कंसे
रिमझिम रिमझिम बरसा सावन यह गीत इस वर्ष गलत हो रहा है किसानों का सावन वरिश से नहीं आँखों से आंसू बन कर बरस रहा है किसानों की किस्मत पर तो मानों की ओलें पड़ गएँ हो मुसीबतें तो थमने का नाम ही नही ले रही है धान की फसल पर एक बार फिर खतरा मंडरा रहा है। जानकारों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो खाद डालने के बावजूद धान में कंसे नहीं फूटेंगे। जहां फूटेंगे भी तो काफी कमजोर रहेंगे।सितंबर का महीना धान की फसल के लिए कंसा फूटने का समय होता है। इसी समय धान के पौधों से बालियों के लिए कंसे फूटते हैं। किसान इसे आम बोलचाल में धान का पोटराना यानि गर्भावस्था का समय कहते हैं। इस समय खेतों में कम से कम पांच सेंटीमीटर पानी भरा होना चाहिए। इतने पानी की मौजूदगी में 12 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से नत्रजन खाद की मात्रा डालने पर पौधे से ढेरों कंसे फूटते हैं। यही कंसे आगे धान की बालियों में विकसित होते हैं। जितने अधिक कंसे फटेंगे उतनी अधिक धान की बालियां बनेंगी। इस बार बारिश के बीच-बीच में ब्रेक होने के कारण खेतों में पानी नहीं है। बड़े इलाके में धान की फसल की बाढ़ भी सामान्य से कम है। निंदा नाशक के भरोसे खरपतवार नष्ट किए गए हैं। खरपतवार के कारण भी धान की बाढ़ ठीक तरह से नहीं हो पाई है।
कम पानी में खाद डाली तो गल जाएगी फसल
उल्लेखनीय है कि कृषि विशेषज्ञ कम बाढ़ वाली फसल में यूरिया की अतिरिक्त मात्रा का उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन किसानों का कहना है कम पानी होने पर यूरिया फसल को गला देता है।
खेतों में दरारें
देश के हर एक राज्य कुछ राज्यों को छोड़ कर हर जगह खेत में पानी की कमी के कारण दरारें पढनें लगी ऐसा लगता है की भगबान किसानों से रूठ गया है
ऐसी स्थिति में क्या करें
खेतों में पानी की व्यवस्था बनाएं खाद को सीधे न डाल कर स्प्रे द्वारा देने का प्रयास करें नाइट्रोजन की जगह खनिज लवण और सूक्ष्म तत्व देने का प्रयास करें पानी के अधिक कमी हो तो ड्रिप प्रणाली से दें या स्प्रे द्वारा देते रहें किसी प्रकार का रसायनिक खाद या कीट नाशक का प्रयोग न करें