योगी सरकार के एक साल में किसान ?
प्रचंड बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आई जिसने किसानों के लिए जो वादे किये योगी सरकार का एक साल पूरा होने के बाद एक ओर सरकार अपनी उपलब्धियों को गिना रही है व्ही किसान शायद फिर से पिछड़ता हुआ दिखाई दे रहा है हलाकि पूर्व सरकरों के अनुपात में योगी सरकार के कार्य बीस नजर आये लेकिन चुनावी वादों को पूरा करने में सरकार असहज दिखी
चुनाव से पूर्व घोषणा पत्र में किसानों के लिए किय गए वादे
1.किसानों के लोन और ब्याज होंगे माफ। भविष्य में कर्ज मुक्त ब्याज।
2. गन्ना किसानों को मिलेगी 6,000 करोड़ रुपये की सहायता।
3. मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई फंड की होगी शुरुआत।
4- सफेद क्रांति के लिए बड़ी डेयरी योजना।
5- मजदूरों को 2 लाख रुपये तक का फ्री बीमा।
6- पारंपरिक लघु उद्योगों को मिल सकेंगे आसानी से लो।
चुनाव से पहले किए गए वादे से अलग सभी किसानों का सारा ऋण माफ नहीं किया गया। छोटे और मझोले किसानों के 1 लाख रुपये तक के ऐसे कर्ज जो मार्च 2016 से पहले लिए गए थे, सरकार ने केवल वही माफ किए, और वादा सुनकर किसानों को मिली खुशी खत्म हो गई।
कर्ज माफ या किसानों से मजाक?
सारा ऋण माफ न करने को लेकर किसानों के बीच में नाराजगी अभी बनी ही हुई थी कि ऋण माफी के नाम पर 1 पैसे से लेकर कुछ रुपये माफ किए जाने के मामले सामने आने लगे। जारी किए गए डेटा के मुताबिक लगभग 11000 किसानों के 1 से लेकर 500 रुपये के कर्ज माफ किए गए। कई किसान ऐसे थे जिन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि उनके ऊपर कुछ पैसों का कर्ज कैसे था।
बिजली का जोर का झटका
कर्ज से राहत न मिलने पर किसानों की हालत पहले से ही कुछ खास नहीं थी कि बिजली दरों में 60 प्रतिशत की वृद्धि कर उनके लिए खेती और मुश्किल हो गई। किसान अभी भी बढ़ी हुई बिजली दरों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
सड़क पर आलू, मुश्किल में किसान
उधर मांग से अधिक आलू की पैदावार के कारण किसानों की मुश्किलें बढ़ने लगी थीं। इसे देखते हुए पहले ही 487 रुपये प्रति क्विंटल में आलू खरीदने की घोषणा कर दी गई लेकिन फिर भी आलू किसानों को होने वाले नुकसान को रोका नहीं जा सका। बाजार में मांग न होने के कारण कोल्ड स्टोरेज में प़डा-पड़ा आलू सड़ने लगा। स्टोरेज से निकालकर बेच पाने में असफल किसानों ने इसी साल जनवरी के महीने में राज्य के कई हिस्सों में बड़ी मात्रा में आलू फेंकना शुरू कर दिया।
सरकार द्वारा निकाले ये समाधान
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए प्रदेश सरकार ने इस साल दो लाख टन आलू खरीदने का फैसला किया। इसे अलावा सभी राज्यों में आलू के बाजार भाव की तुलना करने के बाद आलू का लाभकारी मूल्य घोषित करने का फैसला भी किया। फूड प्रोसेसिंग विभाग में आलू की खपत बढ़ाने के प्रयास करने की बात भी कही गई। सरकार ने ऐसी मंडियों में आलू भेजने की बात कही जहां इसकी कीमत ज्यादा हो।
डेढ़ गुना एमएसपी अभी एक सुनहरा ख्याब
हालांकि, केंद्र की बीजेपी सरकार ने 2014 के चुनावों से पहले जो वादा किया था, उसी की उम्मीद राज्य के किसानों राज्य की बीजेपी सरकार से भी लगा रखी है। किसानों की मांग है कि स्वामीनाथन समिति रिपोर्ट की सिफारिशों को मानते हुए किसानों को फसलों पर डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाए। इस बारे में सरकार मूल्यों को बढ़ाने और उचित मूल्य देने की बात तो कहती है लेकिन जिस तरह से केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से साफ कह दिया है कि वह समिति की रिपोर्ट को लागू नहीं कर सकती, राज्य में भी ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
बजट में किसानों पर मेहरबान
सरकार ने 2018-19 का बजट पेश करते वक्त भी किसानों को रिझाने की कोशिश की। बुंदेलखंड के विकास के लिए 650 करोड़ का इंतज़ाम किया गया है। प्रदेश के सबसे ज्यादा सूखा प्रभावित क्षेत्रों में शामिल बुंदेलखंड में इस वित्त वर्ष में 5 हजार तालाब खुदवाने और 131 करोड़ रुपये सोलर पंप के लिए दिए।
बाकी हैं कई चुनौतियां, कई सवाल
एक साल के अंदर योगी सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। नीतियों और घोषणाओं के सहारे सरकार ने इन चुनौतियों का सामना करने की कोशिश भले ही की हो लेकिन इनका असर फिलहाल दिखना शुरू नहीं हुआ है। किसान अभी भी बढ़ी हुई बिजली दरें, खेती के प्राइवेटाइजेशन और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग जैसे मुद्दों पर सरकार से जवाब मांग रहे हैं। कुछ महीने पहले सीतापुर में एक किसान को कर्ज न चुका पाने के कारण ट्रैक्टर से कुचलकर मार दिया गया। किसानों की मौत के बारे में गंभीरता से कदम उठाते हुए सरकार को पिछली सरकार के मुकाबले यह आंकड़े नीचे लाने ही होंगे।