सूखे के असर को कम करने में जुटी केंद्र सरकार
मौसम विभाग के आंकड़ों के हिसाब से भले ही देश के 300 से अधिक जिले सूखे की चपेट में हों, लेकिन राज्य सरकारों की नजर में केवल 200 जिले ही सूखाग्रस्त हैं। अब तक सात राज्यों ने अपने यहां सूखे की सूचना दी है, जिसके लिए केंद्र सरकार सूखा राहत देने की तैयारी में जुटी है। कुछ राज्यों ने तो केंद्र सरकार के आग्रह पर अपने यहां सूखे का एलान किया है। इनमें उत्तर प्रदेश और ओडिशा प्रमुख हैं।
सूखे के प्रभाव की समीक्षा के लिए राज्यों के कृषि विभाग के प्रमुख सचिवों की बैठक बुलाई गई। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने खुद प्रत्येक राज्य में सूखे के प्रभाव और उससे पैदा होने वाली मुश्किलों के बारे में विस्तार से जानकारी ली। भूमि में नमी की कमी की समस्या की वजह से फसलों की बुवाई में होने वाले विलंब पर चिंता जताई गई।
कृषि मंत्री सिंह ने बताया कि गेहूं की बुवाई पिछड़ती दिख रही है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि गेहूं का कुल रकबा भी घटेगा। गेहूं सिंचित फसल है, जिसकी बुवाई पलेवा के बाद हो जाएगी। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक आपदा को रोक पाना किसी के वश की बात नहीं है, लेकिन उसके प्रभावों को जरूर कम किया जा सकता है। केंद्र सरकार इसमें तेजी से जुटी हुई है।
कर्नाटक राज्य ने सबसे पहले सूखे की अधिसूचना जारी की, जिसकी वजह से उसे 1540 करोड़ रुपये की राहत राशि मंजूर करके जारी कर दी गई। यहां के कुल 27 जिले सूखाग्रस्त हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने यहां के 25 जिलों को सूखा प्रभावित बताया है, जिसकी तस्दीक के लिए केंद्रीय टीम भी दौरा पूरी कर चुकी है। कृषि मंत्रालय में उसके लिए 1387 करोड़ रुपये की सिफारिश कर उच्चाधिकार प्राप्त समिति के पास भेज दिया गया है।
मध्य प्रदेश के 22 जिले सूखे की चपेट में हैं, जिसके लिए केंद्रीय टीम ने दौरा पूरा कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, लेकिन कृषि मंत्रालय की बैठक के पहले ही पूरक सूची आ जाने से रोक दिया गया है। कृषि मंत्री सिंह ने बताया कि रिपोर्ट आने के बाद जल्दी ही राहत के बारे में फैसला ले लिया जाएगा। महाराष्ट्र के 21 जिले सूखाग्रस्त हैं, जिसका मौका मुआयना कर केंद्रीय टीम लौट चुकी है। लेकिन उसकी रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई है।
उत्तर प्रदेश के सूखा प्रभावित 50 जिलों का मौका मुआयना करने संयुक्त सचिव राघवेंद्र सिंह की अध्यक्षता में टीम रवाना हो चुकी है। लेकिन तेलंगाना की कोई सूचना नहीं मिल पाई है, जिसके लिए केंद्र इंतजार कर रहा है।