पराली जलाकर धरती मां का नुकसान न करें : नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, आईएआरआई पूसा परिसर के 'कृषि उन्नति मेला' में शामिल हुए।प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से पराली जलाना छोड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि धरती किसानों की मां है उसे नहीं जलाना चाहिए। यदि वे इसे मशीनों के जरिए हटाएं तो खाद के तौर पर इसका उपयोग बढ़ सकेगा। पराली जलाने से प्रदूषण तो होता ही है। सारे अहम तत्व जलने जमीन की उर्वरता घटती है। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर ‘जैविक खेती’ पोर्टल लॉन्च किया। साथ ही देशभर में 25 कृषि विज्ञान केंद्रों की आधारशिला रखी।
मोदी ने कहा है कि सरकार किसानों के विकास को लेकर प्रतिबद्ध है। किसानों को उन्नत बीज, बिजली से लेकर बाजार तक कोई परेशानी न हो, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के ऐलान का पूरा लाभ किसानों को मिले, इसके लिए हम राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। सरकार फसलों का एमएसपी उनकी उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना घोषित करेगी। इसकी गणना के लिए जो लागत जोड़ी जाएगी उसमें खेती के सभी खर्च शामिल किए जाएंगे। इनमें मजदूरी, खुद या किराये पर लिए गए मवेशी/मशीन का खर्च, बीज का मूल्य, सभी तरह की खाद का मूल्य, सिंचाई खर्च, लैंड रेवेन्यू, लीज रेंट समेत अन्य खर्च शामिल हैं। इतना ही नहीं, किसान और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा किए गए श्रम के योगदान का मूल्य भी उत्पादन लागत में जोड़ा जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को यहां इंडियन एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट (आईएआरआई) पूसा में आयोजित तीन दिवसीय कृषि उन्नति मेले में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, इस बजट में जिस ऑपरेशन ग्रीन का ऐलान किया है वह भी नई सप्लाई चेन व्यवस्था से जुड़ा है। इसके तहत सरकार किसान उत्पादक संगठनों, एग्री-लॉजिस्टिक्स, प्रोसेसिंग और पेशेवर मैनेजमेंट को बढ़ावा देगी।
1)किसानों ने जरूरत के वक्त अनाज पैदा किया
- पीएम मोदी ने कहा, ''हमें याद रखें कि आजादी के बाद जब देश को जरूरत थी तो किसानों ने बेहतर अनाज उत्पादन किया। आज भी रिकॉर्ड पैदावार हो रहा है। आज किसानों के सामने चुनौतियां है, लेकिन हम उनकी आय दोगुनी करने और जीवन सरल बनाने की ओर बढ़ रहे हैं।''
- ''यूरिया की नीम कोटिंग से अनाज उत्पादन बढ़ा है। फसल बीमा में प्रति किसान मिलने वाली राशि दोगुना से ज्यादा की गई है। सालों से बंद पड़ीं सिंचाई योजनाओं को 180 करोड़ के फंड का इस्तेमाल कर आगे बढ़ाया जा रहा है।''
- ''सरकार टीओपी (टोमैटो-ओनियन-पोटैटो) उगाने के लिए किसानों की भरपूर मदद कर रही है। इस बार के बजट में किसानों को फसल की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाना तय किया गया है।''
2) कुछ लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं
- ''मैं किसानों को बताना चाहता हूं कि आज कुछ उन्हें गुमराह करने के लिए कई तरह के भ्रम फैला रहे हैं। इसीलिए बता रहा हूं कि अब किसानों को मिलने वाली एमएसपी में उनकी और मजदूरों की मेहनत भी शामिल है।''
- ''सरकार की कोशिश है कि किसानों को फसल बेचने के लिए दूर-दूर ना जाना पड़े। इस बजट में गांवों के हाट को टेक्नोलॉजी से जोड़ने का प्रावधान है। किसान इन हाटों में भी फसल को सीधे बेंच सकता है। वो छोटे-छोटे संगठन बनाकर भी हाटों और अनाज मंडियों से जुड़ सकते हैं।''
3) हम ऑर्गेनिक फॉर्मिंग की मार्केटिंग में पीछे
- ''हम ऑर्गेनिक फॉर्मिंग के दौर में इसकी मार्केटिंग में पीछे रह गए। अब खास तौर से नॉर्थ-ईस्ट को ऑर्गेनिक खेती के लिए विकसित किया जा रहा है। आज हमें ब्लू रेवोल्यूशन, व्हाइट रेवोल्यूशन समेत अन्य क्षेत्रों को भी बढ़ाना होगा। इसके लिए हमने 25 नए कृषि विज्ञान केंद्र शुरू किए हैं। पुराने केंद्रों को भी मॉडर्न बनाया जा रहा है।''
- ''मधुमक्खी पालन कृषि का अहम हिस्सा हो सकता है। महान वैज्ञानिक आइंसटीन ने कहा कि अगर धरती से मधुमक्खियां खत्म हो गईं तो दुनिया नहीं रहेगी। खेती के साथ मधुमक्खी पालकर किसान दो से ढाई लाख की अतिरिक्त आय बढ़ा सकते हैं। मक्खियां फसलों के उत्पादन को बढ़ाने में भी मदद करती हैं।''
4) पराली जलाकर धरती मां का नुकसान न करें
- ''आय बढ़ाने के लिए किसान खेतों की मेढ़ पर सोलर पैनल लगाकर पंप चलाने के लिए बिजली पैदा कर सकते हैं। अगर जरूरत से ज्यादा बिजली पैदा हो जाए तो इसे सरकार को भी बेचा जा सकता है। बॉयो वेस्ट के सही इस्तेमाल के लिए सरकार ने गोबरधन योजना शुरू की है। किसान बॉयोगैस प्लांट बनवाएं और इससे ईंधन का उत्पादन करें।''
- ''देश में आज एक गलत परंपरा शुरू हो गई है, पराली जलाने की। साथियों हम धरती मां को परेशान कर रहे हैं। जब हम इसे जलाते हैं तो वो धरती की पैदावर क्षमता खत्म होने लगती है। अगर हम पराली को खेत में मिला दें तो धरती की पैदावर क्षमता बढ़ेगी। किसान भाइयों से अपील करता हूं कि वो पराली जलाकर धरती मां को नुकसान नहीं करें।''
5) इंसाल के अलावा चीटियां भी करती हैं खेती
''इस कृषि मेला में किसान भाइयों ने जो भी नई टेक्नोलॉजी देखी है, उसे खेती में अपनाने की कोशिश करें। मैं चाहता हूं कि ऐसे मेलों को देश के दूर-दराज के इलाकों में भी कराना चाहिए। इस बात की स्टडी होनी चाहिए कि किसानों पर मेले का कितना असर हुआ। उन्हें क्या फायदा मिला? क्या नई टेक्नोलॉजी देखने को मिली, कैसे उनका जीवन सरल होगा?''
- ''दोस्तों मैंने कहीं पढ़ा है कि इंसान के अलावा चीटियां भी खेती करती हैं। दुनिया के कुछ जंगलों में वो खेत बनाती हैं, पानी की व्यवस्था करती हैं। फंगस और एंटीबायोटिक पैदा करती हैं। सालों से इसी काम में लगी हुई हैं।''
दैनिक भास्कर