अच्छी खेती के लिए अपने विचारों को करेंगे साझा

अच्छी खेती के लिए अपने विचारों को करेंगे साझा

कृषि क्षेत्र में नई तकनीक को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान और छत्तीसगढ़ के किसान दोनों राज्यों में खेती के क्षेत्र में हो रहे प्रयोगों पर अपने अनुभवों को साझा करेंगे।

कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘दोनों राज्यों की जलवायु और मिट्टी की किस्में अलग-अलग हैं। नए विचारों और अच्छे कार्य-व्यवहारों के साझा करने से दोनों राज्यों को उत्पादकता बढ़ाने के अलावा कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।''

उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह और राजस्थान के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी के बीच पिछले दिनों कोटा में आयोजित बैठक में इसके लिए सहमति बनी।

किसानों की यूरिया का हक मार रहे तस्कर

किसानों की यूरिया का हक मार रहे तस्कर

बेहद लचर वितरण प्रणाली और कालाबाजारी इस कमी को उस मुकाम पर ले जाती है जहां किसान या तो कराह उठता है या फिर हल की जगह डंडे और लाठियां उठा लेता है. ऊपर जो चार वाकये पेश किए गए हैं, दरअसल यह पूरे उत्तर और मध्य भारत के लाखों किसानों की हर रोज एक बोरी यूरिया पाने की जद्दोजहद की बहुत छोटी-सी झलक भर हैं.

उर्वरकों के उपयोग और पूर्ति पर देश भर में नज़र रखने वाले केंद्रीय मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार यूरिया समेत अन्य उर्वरकों की तस्करी के मामलों में उत्तर प्रदेश राज्य पूरे देश में अव्वल है।

खेती के ग्रेजुएट छात्रों को मिला 'प्रोफेश्नल्स' का दर्जा

खेती के ग्रेजुएट छात्रों को मिला 'प्रोफेश्नल्स' का दर्जा

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने खेती व संबंधित विषयों की ग्रेजुएशन की डिग्री को 'प्रोफेशनल डिग्री' घोषित करने की सूचना जारी कर दी है। इसके बाद अब खेती के स्नातक भी प्रोफेशनल यानि पेशेवर कहलाएंगे। इस बात का फायदा इन छात्रों को तमाम स्कालरशिप को पाने और नए उद्यमों को शुरू करने में मिलेगा।

सूत्रकृमि फसलों पर अदृश्य खतरा

फसलों में बहुत से ऐसे कीड़े लगते हैं जो उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। जिन्हें हम आंखों से देखने में समर्थ होते हैं उनकी रोकथाम मुमकिन है लेकिन किसान द्वारा मेहनत से उगाई गई फसल के लिए कई ऐसे शत्रु भी हैं जो आंखों से नहीं दिखाई देते हैं, उनसे निपटना ज्यादा मुश्किल होता है।

इन्हें केवल माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। 95 फीसदी किसानों को इसके विषय में कोई जानकारी नहीं होती है। ऐसे अज्ञात शत्रु बरसों से फसलों को नुकसान पहुंचाते आ रहे हैं। इन्हें सूत्रकृमि कहते हैं। जड़ों को भेदकर उनमें गांठ बनाने वाले सूत्रकृमियों की संख्या कई लाख होती है। 

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