ऐसे बनाएं सब्जी बगीचा ( किचन गार्डन )

साग-सब्जियों का हमारे दैनिक भोजन में महत्वपूर्ण स्थान है. विशेषकर शाकाहारियों के जीवन में. साग-सब्जी भोजन में ऐसे पोषक तत्वों के स्नेत हैं, हमारे स्वास्थ्य को ही नहीं बढ़ाते, बल्कि उसके स्वाद को भी बढ़ाते हैं. पोषाहार विशेषज्ञों के अनुसार संतुलित भोजन के लिए एक वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन 85 ग्राम फल और 300 ग्राम साग-सब्जियों का सेवन करना चाहिए, परंतु हमारे देश में साग-सब्जियों का वर्तमान उत्पादन स्तर प्रतिदिन, प्रतिव्यक्ति की खपत के हिसाब से मात्र 120 ग्राम है. इसलिए हमें इनका उत्पादन बढ़ाना चाहिए.

ब्जी बगीचा के लिए स्थल चयन

बीज का महत्व

भारतवर्ष कृषि प्रधान देश है, जिसकी अर्थव्यवस्था में कृषि रीढ़ की हड्डी के समान है । हमारे देश प्रदेश में हमारी आजीविका का प्रमुख साधन कृषि है । हमेशा से और आज भी कृषि उत्पादन में बीजों की भूमिका अत्याधिक महत्वपूर्ण रही है। बीज खेती की नींव का आधार और मूलमंत्र है। अत: अच्छी गुणवत्ता वाले बीज से, फसलों का भरपूर उत्पादन प्राप्त होता है।

मटर की बुवाई का सही समय

मटर की बुवाई का सही समय

शीतकालीन सब्जियों में मटर की सबसे ज्यादा मांग होती है। आजकल मटर की डिब्बा बंदी भी काफी लोकप्रिय है। इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, रेशा, पोटेशियम एवं विटामिन्स पाया जाता है। देश भर मे इसकी खेती व्यावसायिक रूप से की जाती है।

खेत की तैयारी

सब्जी मटर के लिए बलुई दोमट सबसे उपयुक्त मानी जाती है। यह भी ध्यान रहे कि खेत में जल निकास का अच्छा प्रबन्ध हो और भूमि का पीएच मान 6-7 के बीच हो। पहले मिट्टी पलटने वाले हल से तथा बाद में देसी हल से खेत की जोताई कर पाटा चलाए।

बुवाई का समय

गरीबों के खेत, अमीरों के पेट

गरीबों के खेत, अमीरों के पेट

पिछले कुछ समय से दो खबरों से जुड़ी बातें लगातार अखबारों और इलेक्ट्रानिक चैनलों में जोर-शोर से आ रहीं हैं। एक बढ़ती मँहगाई जिससे आम जन त्राहि-त्राहि कर रहा है। दूसरा सरकारी व्यवस्था में सड़ता अनाज। भारत में रोज ना जाने कितने पेट खाली ही सो जाते हैं, इस उम्मीद में कि शायद कल पेट भर जाये। आखिर इस व्यवस्था का दोषी कौन है?

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