पूसा हाइड्रोजल से एक बार की सिंचाई से होंगी फसलें

पूसा हाइड्रोजल से एक बार की सिंचाई से होंगी फसलें

जिन इलाकों में जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है, वहां के किसानों के लिए एक राहतभरी खबर है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च(आईसीएआर) ने पूसा हाइड्रोजैल नाम का एक पदार्थ विकसित किया है, जो दो या तीन बार पानी देने वाली फसलों को सिर्फ एक बार की सिंचाई में तैयार कर देगा।

श्योपुर जिले के बड़ौदा कृषि विज्ञान केन्द्र ने इसका प्रयोग चना व गेहूं की फसलों पर किया है, जहां परिणाम उम्मीद से भी अच्छे आए हैं।

ऐसे काम करता है पूसा हाइड्रोजैल

 

हाईकोर्ट की फटकार, आईपीएल से ज्यादा जरूरी हैं किसान

हाईकोर्ट की फटकार, आईपीएल से ज्यादा जरूरी हैं किसान

पूरे देश में जहां कुछ दिनों बाद हर तरफ आईपीएल का खुमार हावी होता दिखेगा वहीं महाराष्ट्र के मुंबई और अन्य शहर के लोग इसके रोमांच से वंचित रह सकते हैं। आईपीएल मैचों के दौरान मैदान को तैयार करने में हजारों लीटर पानी की बर्बादी पर मुंबई हाइकोर्ट ने सवाल खड़ा करते हुए बीसीसीआई और क्रिकेट संघों को कड़ी फटकार लगाई है। 

हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे में जब राज्य के कई जिले भयंकर सूखे की मार झेल रहे हैं तब इस तरह हजारों लीटर पानी बर्बाद करने का क्या तुक है। कोर्ट का कहना है कि क्यों न आईपीएल के मैच कहीं ऐसी जगह स्‍थानांतरित कर दिए जाएं जहां सूखे का संकट न हो। 

गेहूं की उपज घटी , किसानों का दर्द छलका

गेहूं की उपज घटी , किसानों का दर्द छलका

प्रकृति की मार का असर रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं पर साफ नजर आने लगा है। थ्रेसिंग के दौरान गेहूं का उत्पादन काफी कम होने से किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही हैं। किसान यह सोचकर परेशान नजर आ रहा है कि अब साल भर परिवार का पेट कैसे पलेगा।  समय से पहले भीषण गर्मी पड़ने और तेज धूप निकलने से खेतों में खड़ी गेहूं की फसल झुलसने लगी है। इससे गेहूं की फसल समय से पहले पक तो गई लेकिन दाना कमजोर और उत्पादन घटने की समस्याएं सामने आने लगी हैं।

मत्स्य में जीवाणु जनित रोग एवं उनका उपचार

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मत्स्य में जीवाणु जनित रोग एवं उनका उपचार

मत्स्य पालन करते समय मछलियों को होने वाले रोगों की ओर ध्यान देना आवश्यक होता है। मछलियाँ भी अन्य प्राणियों के समान प्रतिकूल वातावारण में रोगग्रस्त हो जाती है। रोग फैलते ही संचित मछलियों के स्वभाव में प्रत्यक्ष रुप से अंतर आ जाता है। फिर भी साधारणत: मछलियाँ रोग-व्याधि से लडऩे में पूर्णत: सक्षम होती हैं।
रोगग्रस्त मछलियों के लक्षण
– अनियंत्रित तैरती हैं। तथा उनकी बेचैनी बढ जाती है।
– मछली के शरीर का रंग धूमिल पड़ जाता है। चमक में कमी हो जाती है तथा शरीर पर श्लेष्मिक द्रव के स्त्राव से शरीर चिपचिपा और चिकना हो जाता है।

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