बारिश न होने से यूपी में धान की फसल को भारी नुकसान

धान की फसल को भारी नुकसान

पहले गेंहू की फसल पर मौसम की मार ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी। वहीं अब धान की फसल से आस लगाये बैठे किसानों के मांथे पर सूखे की आहट ने चिंता की लकीरें खींच दी हैं। सितंबर माह के शुरूआती दिनों में यूपी के ज्यादातर इलाकों में बारिश न के बराबर हुयी है। अगर ऐसा आगे भी जारी रहा तो गेहूं की तरह धान की फसल भी किसानों की जान लेने के लिए तैयार है।
 

फसल में बन रहा है दाना, नमी जरूर बनाएं रखें

फसल में बन रहा है दाना,  नमी जरूर बनाएं रखें

धान की फसल पिछले वर्ष कम बारिश से सूख रही थी और इस बार तो बर्बाद हुई जा रही है। पानी इस समय फसलों के लिए इस लिए भी अहम है क्योंकि धान, मक्का व तिलहन सभी फसलेें पुष्पन अवस्था में पहुंच रही हैं। ऐसे में यदि पानी न मिला तो फसलों में दाना नहीं बनेगा और उत्पादन बहुत ज्यादा प्रभावित हो सकता है।  इस समय धान में दुग्धावस्था चल रही है ऐेसे में अगर नमी की कमी हुई तो धान में दाने नहीं भर पाएंगे

सूखे के हालात बनने से इस क्षेत्र के किसान पम्पिंग सेटों के सहारे धान की फसल को बचाने में जुटे हैं। यदि एक सप्ताह और बारिश नहीं हुई तो एक चौथाई फसल या तो खराब हो जायेगी या तो उत्पादन बहुत कम हो जाएगा।

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तैयार करें टमाटर की नर्सरी

 तैयार करें टमाटर की नर्सरी

ऐसे तैयार करें नर्सरी
नर्सरी के लिए एक मीटर चौड़ी व 3 मीटर लम्बी, 10 से 15 सेमी ऊंची क्यारियां बनाएं और 5 ग्राम ट्राइकोडरमा प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। गर्मी की फसल के लिए दिसम्बर-जनवरी में तथा सर्दी की फसल के लिए सितम्बर माह में नर्सरी लगाएं। एक हेक्टेयर में पौध रोपण हेतु 400 से 500 ग्राम बीज तथा संकर किस्मों के लिए 150 से 200 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर उपयुक्त रहती है।

मौसम के तेवर सख्त सोयाबीन किसान सकते में

पानी की कमी व मौसम के मिजाज ने अब किसानों उम्मीद पूरी तरह खत्म कर दी है। पहले तो किसान धान की फसल से उम्मीद छोड़ रहे थे अब सोयाबीन से भी अपनी उम्मीद छोड़ने लग गए हैं। सोयाबीन के खेतों में दरार पड़ने लगी है।
 अब तक फसलों के लिए अपेक्षित बारिश हो नहीं पाई है। अब तक महज 710 मिलीमीटर ही बारिश हो पाई है जो कि फसलों के लिए पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है। हालांकि किसान सोयाबीन की फसल से उत्साहित थे। खेतो में फसल भी ठीक थी, किन्तु पिछले एक स्पताह से ज्यादा समय से बारिश नहीं हुई है। ताममान में बढ़ोतरी भी दो रही है इससे किसान सोयाबीन की पᆬसल से भी उम्मीद छोड़ने लगे हैं।

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