फ़सल अवशेषों ना जलाऐं, इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढाऐं

फ़सल अवशेषों ना जलाऐं

हमारे देश में फ़सलों के अवशेषों (Crop Residue) का उचित प्रबन्ध करने पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है या कहें कि इसका उपयोग मृदा में जीवांश पदार्थ अथवा नत्रजन की मात्रा बढाने के लिये नही किया जाकर इनका अधिकतर भाग या तो दूसरे घरेलू उपयोग में किया जाता है या फ़िर इन्हें नष्ट कर दिया जाता है जैसे कि गेहूं, गन्ने की हरी पत्तियां, आलू, मूली, की पत्तियां पशुओं को खिलाने में उपयोग की जाती है या फ़िर फ़ेंक दी जाती हैं। कपास, सनई, अरहर आदि के तने गन्ने की सूखी पत्तियां, धान का पुआल आदि सभी अधिकतर जलाने के काम में उपयोग कर लिये जाते हैं।

किसानों की मुसीबत गन्ने के फसल में पायरिल्ला का अटैक

किसानों की मुसीबत गन्ने के फसल में पायरिल्ला का अटैक

गन्ना उत्पादक किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें छाई हुई हैं, क्योंकि क्षेत्र के गन्ना में पायरिल्ला कीट का अटैक हुआ है। इस प्रकोप से फसलों के नुकसान होने की चिंता किसानों को सताने लगी है।  कृषि विभाग के वैज्ञानिकों की टीम भी इस प्रकोप पर लगातार नजर जमाए हुई है। टीम लगातर क्षेत्र का निरीक्षण कर प्रकाश प्रपंच तकनीक से इस रोग पर नियंत्रण पाने के लिए किसानों को सुझाव दे रहे हैं। 

क्या है पायरिल्ला

सफेद मक्खी का प्रकोप दहशत में कपास के किसान

सफेद मक्खी का प्रकोप  दहशत में कपास के किसान

हरियाणा और पंजाब के किसान इन दिनों सफेद मक्खी की दहशत में हैं। अकेले हरियाणा के फतेहाबाद में 500 एकड़ से ज्यादा फसल कपास की बर्बाद हो चुकी है। कृषि जानकारों का मानना है कि इस मक्खी के प्रकोप का असर हरियाणा और पंजाब से सटे उत्तर प्रदेश के इलाकों में दूसरी फसलों पर भी हो सकता है।

किसानों से अब तिलहन-दलहन भी खरीदेगी सरकार

किसानों से अब तिलहन-दलहन भी खरीदेगी सरकार

 दलहन-तिलहन की खेती से भाग रहे किसान अब फिर से इन फसलों का रुख करने की सोच सकते हैं क्योंकि सरकार अब किसान से सीधे इन फसलों को खरीदने की तैयारी कर रही है।

धान और गेहूं के साथ ही देश में पहली बार भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) इस साल तिलहनी और दलहनी फसलें भी खरीदेगी। अंतरराष्ट्रीय समाचार सेवा रॉयटर्स ने ये खबर प्रकाशित की है।

एफसीआई इन दोनों फसलों की खरीद अक्टूबर में शूरू करेगी, भारी खरीद की शुरुआत अगले वर्ष मार्च से होगी जब किसान रबी की फसल काटता है। दलहनी और तिलहनी फसलों की खेती मुख्यत: रबी के मौसम में ही होती है।

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