सफेद मक्खी का प्रकोप दहशत में कपास के किसान
हरियाणा और पंजाब के किसान इन दिनों सफेद मक्खी की दहशत में हैं। अकेले हरियाणा के फतेहाबाद में 500 एकड़ से ज्यादा फसल कपास की बर्बाद हो चुकी है। कृषि जानकारों का मानना है कि इस मक्खी के प्रकोप का असर हरियाणा और पंजाब से सटे उत्तर प्रदेश के इलाकों में दूसरी फसलों पर भी हो सकता है।
देश की राजधानी दिल्ली से 213 किलीमीटर दूर हरियाणा के फतेहाबाद के करीब दो सौ गांवों में कपास की खेती हो रही है। यहां पर करीब 80 हजार हेक्टेयर में कपास की बुवाई की गई है। लेकिन खड़ी फसल पर कपास खाउ मक्खी का प्रकोप हो गया है। फसल बर्दाद होने के बाद कई किसानों ने खुद अपनी फसल उजाड़ दी है ताकि समय रहते दूसरे फसल बो सकें।
केंद्रीय एकीकृत जीव नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, लखनऊ के सहायक वैज्ञानिक डॉ. राजीव कुमार बताते हैं, ”बारिश के मौसम में सफेद मक्खी का प्रकोप होता है। धान, कपास समेत सभी दूसरी खरीफ की फसलों को ये नुकसान पहुंचा सकती है।”
फतेहाबाद में गोदपुर गांव के किसान राजेंद्र सिंह (40वर्ष) बताते हैं, “सफेद मक्खी ने नरमा (कपास) की पूरी फसल चौपट कर दी है। कई बार दवाओं का छिड़काव भी किया, लेकिन, कोई फर्क नहीं पड़ा।“ वहीं गोरखपुर के किसान फूल सिंह (50 वर्ष) ने खुद अपनी फसल पर ट्रैक्टर चलवा कर जुतवा दिया है। वो कहते हैं, “अपणे तो करम ही फूट गए हैं, पहले मौसम ने मारा अब सफेद मक्खी मार रही है।“ फूल सिंह ने तीस हजार रुपए एकड़ के हिसाब से खेत बटाई पर लिया है। वो आगे बताते हैं, “बीज और दवाओं को मिलाकर एक एकड़ फसल में कपास की बुआई पर करीब सात से आठ हजार रुपए का खर्च आता है। ऐसे में मुनाफा तो दूर हम तो कर्ज में डूबते जा रहे हैं।“
क्या है ‘सफेद मक्खी‘ का प्रकोप ?
सफेद मक्खी सामान्यतौmर पर लगने वाले कीटों में से एक है। खरीफ की सभी प्रमुख फसलों पर इसका असर हो सकता है। हालांकि कपास को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। ये मक्खी बरसात के मौसम में ही पनपती है। इसका जीवन चक्र 35 से 30 दिन का होता है। मक्खी एक बार में सौ से सवा सौ तक अंडे देती है। सफेद मक्खी कपास के पौधों के पत्तों पर बैठकर लार छोड़ती है जिससे पत्ते। काले पड़ जाते हैं और उसकी बाढ़ रुक जाती है।