छोटे किसानों तक पहुंचे ऋण की सुविधा: पटनायक
केंद्रीय कृषि सचिव ने कहा कि पिछले वर्ष किसान आत्महत्या की रिकॉर्ड संख्या का एक कारण, कृषि ऋण का लाभार्थियों तक न पहुंच पाना तथा स्थानीय साहूकारों द्वारा ऊंचे ब्याज दर पर ऋण दिया जाना भी रहा है।
कृषि सचिव शोभना के पटनायक ने राज्यों से कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाये जायें कि कृषि ऋण की सुविधा लघु और सीमांत किसानों तक पहुंचे।
सरकार ने ब्याज सहायता के साथ लघु एवं सीमांत किसानों के लिए नौ लाख करोड़ रुपए का कृषि ऋण तय किया है। पटनायक ने कहा, “लघु और सीमांत किसानों को इतना अधिक धन तय दिये जाने के बावजूद इस क्षेत्र में इस स्तर का ऋण का प्रवाह नहीं हो रहा है। परिणामस्वरूप ये लघु और सीमांत किसान साहूकारों के दरवाजे पर जा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि पिछले वर्ष के दौरान अधिकतम संख्या में आत्महत्या के मामले सामने आये।”
उन्होंने कहा, “यह दर्शाता है कि संस्थागत ऋण प्रणाली उस तरह से काम नहीं कर रहा जैसे कि उसे करना चाहिए। यह कुछ ऐसा है कि हम सभी को सोचना चाहिए और ऐसे उपाय करने चाहिए कि कृषि ऋण का उपयोग वंचित तबके के लोग कर सकें। पिछले लगातार दो वर्षों में खराब मानसून रहने के साथ किसान दवाब में हैं और विभिन्न राज्यों में आत्महत्या के मामले प्रकाश में आये हैं।
कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने पिछले माह राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में कहा था कि पिछले वर्ष महाराष्ट्र में कम से कम 3,228 किसानों ने आत्महत्यायें कीं जो विगत 14 वर्षों में सर्वाधिक संख्या है।
सरकार ने कृषि ऋण का लक्ष्य चालू वित्तवर्ष में 50,000 करोड़ रुपए बढ़ाकर नौ लाख करोड़ रुपए कर दिया है। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा था, किसानों को पर्याप्त और समय पर ऋण मिले इसे सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया गया है। वर्ष 2015-16 में 8.5 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य के मुकाबले वर्ष 2016-17 में कृषि ऋण का लक्ष्य सर्वकालिक उच्च स्तर पर यानी नौ लाख करोड़ रुपए होगा। किसानों पर ऋण पुनभुर्गतान के बोझ को कम करने के लिए बजट वर्ष 2016-17 में ब्याज सहायता के लिए 15,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
साभार Gaon Connection