किसानों की मुसीबत गन्ने के फसल में पायरिल्ला का अटैक

किसानों की मुसीबत गन्ने के फसल में पायरिल्ला का अटैक

गन्ना उत्पादक किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें छाई हुई हैं, क्योंकि क्षेत्र के गन्ना में पायरिल्ला कीट का अटैक हुआ है। इस प्रकोप से फसलों के नुकसान होने की चिंता किसानों को सताने लगी है।  कृषि विभाग के वैज्ञानिकों की टीम भी इस प्रकोप पर लगातार नजर जमाए हुई है। टीम लगातर क्षेत्र का निरीक्षण कर प्रकाश प्रपंच तकनीक से इस रोग पर नियंत्रण पाने के लिए किसानों को सुझाव दे रहे हैं। 

क्या है पायरिल्ला

पायरिल्ला कीट के निम्फ एवं प्रौढ़ कीट गन्ना फसल के पत्ते का रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं जिससे पत्तियों का हरा रंग गायब हो जाता है तथा गन्ने में रस व सुक्रोज की कमी होती है।

उपाय

पायरिल्ला कीट के निम्फस एवं प्रौढ़ पत्तियों को चूसकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसके कारण पत्तियों का हरा क्लोरोफिल उड़ जाता है। इसके चलते पत्तियां पीली पड़ जाती है व गन्ने के रस एवं सुक्रोज की मात्रा में कमी आ जाती है। इस कीट के नियंत्रण के लिए वैज्ञानिकों ने किसानों को सुझाव देते हुए बताया कि खेत में प्रकाश प्रपंच का निर्माण करें, जिसके लिए 5 एकड़ क्षेत्र में कम से कम दो स्थान पर गढ्ढे तैयार कर उसमें पॉलिथीन की परत बिछाकर पानी से भर दें। उसमें कोई भी कीटनाशक या कैरोसिन तेल डाल दें। उक्त गढ्ढे के पास कम से कम गन्ने से दो फीट उंचाई पर बल्ब शाम 6 से रात्रि 9 बजे तक जलाकर रखें । इस विधि से प्रकाश की रोशनी पर कीट आकार्षित होकर गढ्ढे में गिरते जाएंगे, जिसे समय-समय पर साफ करते जाएं। उन्होंने बताया कि रासायनिक कीटनाशक मिथाईलपैराथियान, एसीफेट या क्लोरपायरीफास धूल का 25 किग्रा की दर से भुुरकाव गन्ना फसल में करें। यह कार्य सुबह के समय करें, जिससे पत्तियों में उपस्थित नमी में धूूल चिपक जाए। खड़ी फसल में किसी भी प्रकार के नत्रजन उर्वरक जैसे- यूरिया या डीएपीका छिड़काव न करें। इसके स्थान पर पोटाश 30 से 40 किग्रा प्रति एकड़ आवश्यक रूप से करें। पोटाश के उपयोग से पौधों में कीटों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होगी। इन उपायों के साथ-साथ पायरिल्ला कीट के जैविक परजीवी कीट ईपिरीकीेनिया मेलानोल्यूका के कोकून गन्ना फसल में क्लिप के माध्यम से स्टेपल करें। इस विधि को अपनाकर किसान कीट का प्रबंधन कर सकते हैं।