खेती
खेती
कृषि के उद्यम को ही आम भाषा में खेती कह जाता हैं।आज भारत में ६५% लोग खेती के काम में लगे है या खेती से जुड कर अपनी आजीविका चला रहे है. फिर भी हमारे यहा खेती हमेशा से संकटग्रस्त रही है. भारत की खेती मानसून आधारित है , जिस से यहा पर एक बात हमेशा देखि जाती है की मानसून अच्छा और मजबूत होगा तो सेंसेक्स और सत्ता दोनों बड़े मजबूत होते है नहीं तो भारत का बाज़ार कमज़ोर हो जाता है. इस वर्ष भारत में मोसम विभाग ने माना है की देश का मानसून कमज़ोर है . जो जुलाई माह में पिछले वर्ष की तुलना में २५%कम सक्रीय है.जिस से खेती पर संकट सा छ गया है. यदि अगले माह भी यही हालात रहे तो देश में खेती और अन्य कामो के लिए पानी का संकट सा छाया रहेगा . एसे हालत में हम खेती के लिए क्या करे और पानी कहा से लाये? पानी के बेहतर उपयोग और बचत के अलावा कोई विकल्प नहीं है .
भूमिहीन किसानों को भी मिलेगा बैंकों से कृषि ऋण
Submitted by kisanhelp on 28 January, 2018 - 14:20बटाईदारी और पट्टेदारी पर खेती करने वाले भूमिहीन किसानों को भी अब बैंकों और सहकारी समितियों से कृषि ऋण मिलने का रास्ता खुल जाएगा।
आगामी वित्त वर्ष के आम बजट में यह प्रावधान किया जाएगा। इसके लिए सभी जरूरी वैधानिक कदम उठाए जाएंगे। ऐसे किसानों को फिलहाल खेती के लिए सूदखोरों पर निर्भर रहना पड़ता है।
आम बजट में लैंड लाइसेंस्ड कल्टीवेटर एक्ट पारित कराने का प्रस्ताव है। खेती की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार आम बजट में कुछ पुख्ता प्रबंध करने की तैयारी में है।
सियासत की फसल, चुनौतियों की खेती
Submitted by kisanhelp on 10 November, 2017 - 15:41खेती-किसानी को लेकर भले ही सियासत की फसल खूब लहलहा रही हो, लेकिन उत्तराखंड में खेती की हालत बेहद नाजुक हो चली है। आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। 12 साल पहले राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि का योगदान 16.04 फीसद था, जो घटकर अब 8.94 फीसद पर आ गया है। यही नहीं, राज्य गठन से अब तक के वक्फे में 72 हजार हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि बंजर में तब्दील हो गई। हालांकि, गैर सरकारी आंकड़ों में यह संख्या एक लाख हेक्टेयर पार कर गई है। सूबे के पहाड़ी क्षेत्र में खेती आज भी सिंचाई की राह ताक रही है। ऐसे तमाम मामलों के बीच खेती की दशा को सुधारना सरकार के सामने बड़ी चुनौती है।
कम होती कृषि जोंतों का विकल्प हो सकती है वर्टिकल खेती
Submitted by Aksh on 6 March, 2017 - 13:53आबादी बढ़ने के साथ कम होती कृृषि योग्य भूमि को देखते हुए जयपुर में वर्टिकल खेती (खड़ी खेती) का सफल प्रयोग किया जा रहा है। खास बात यह है कि इसमें रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं का उपयोग नहीं होता यानि उत्पादन पूरी तरह आर्गेनिक है।
जयपुर स्थित सुरेश ज्ञान विहार विश्वविद्यालय में पिछले एक साल से वर्टिकल खेती पर रिसर्च हो रही है और परिणाम बहुत ही सकारात्मक आए हैं। इस शोध के बाद आम लोग अपनी छतों पर भी अपने उपयोग लायक सब्जियां पैदा कर सकेंगे। इसके लिए न तो मिट्टी की जरूरत होगी और न तेज धूप की।