नींबू घास की खेती से मालामाल हो सकते हैं किसान
नीबू की खुशबू जिस पौधे से मिलती है वही लेमन ग्रास यानि नींबू घास है। इसके तेल में सिट्राल पाए जाने से इसमें तीक्ष्ण नीबू जैसी सुगंध आती है। इसकी मांग अपने देश और विदेशों में तेजी से बढ़ रही है जिससे नीबू घास की खती अधिक लाभदायक हो गई है। उपजाऊ भूमि पर साल भर में पांच फसलें ली जा सकती हैं।
नींबू घास की बुवाई बीज तथा स्लिप से की जाती है। दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी होती है। बीज द्वारा पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है फिर इन पौधों को खेतों में लगाया जाता है। नीबू घास की उन्नत किस्में प्रगति, प्रमान, चिरहरित, कृष्णा और नीमा हैं। फसल स्थापित होने के बाद नींबू घास को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। प्रत्येक कटाई के बाद अगर सिंचाई कर दी जाए तो अच्छी पैदावार ली जा सकती है। इसकी रोपाई का सबसे अच्छा समय जुलाई से अगस्त तक होता है। वैसे अप्रैल में लगाई गई फसल से प्रतिशत अधिक उपज प्राप्त होती है। इसकी रोपाई के पांच वर्ष तक प्रत्येक साठ से सत्तर दिन के अंतराल पर कटाई की जाती है। प्रति वर्ष 4-5 कटाई की जा सकती हैं। फसल से प्राप्त तेल की मात्रा का आधार जलवायु, भूमि की उर्वरता, खेती की देखरेख, प्रजाति और कटाई का समय पर रहता है। प्रति एकड़ वर्ष की चार कटाई से लगभग 100 किग्रा तेल प्राप्त किया जा सकता है। जबकि आने वाले वर्षो में तेल की मात्रा बढ़ जाती है। एक बार फसल लगने पर आने वाले व्यय में प्रति वर्ष कमी आती है। इसलिए नींबू घास की खेती करना काफी लाभदायक है। फूल आने से पहले फसल को काट लेना चाहिए।
लखनऊ, कन्नौज में मिलेंगी स्लिप
नींबू घास की स्लिप सुरस एवं संगध विकास संस्थान कन्नौज और केंद्रीय औषधीय एवं सुगंध पौध संस्थान लखनऊ से संपर्क कर सकते हैं।
ऐसे करते हैं आसवन
नींबू घास को काटकर खेत में छायादार स्थान पर छोटे छोटे टुकड़ों में काटकर मुरझाने के लिए डाला जाता है फिर घास को आसवन टैंक में डालकर आसवन विधि से तेल निकाला जाता है।
नींबू घास की खेती करने के इच्छुक किसान उद्यान विभाग से संपर्क कर तकनीकी जानकारी ले सकते हैं। इसकी खेती करके किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। नींबू घास से कम लागत में अधिक मुनाफा मिल सकता है।
साभार जागरण