यौगिक खेती
चिंतन और चरित्र सुधार कर अच्छी खेती की जा सकती है. खेती करने के इस तरीक़े को कहा जाता है यौगिक (मेडिटेशन) खेती.
शाश्वत यौगिक खेती' नाम से खेती की एक नई पद्वति को विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य किसानों को अच्छी पैदावार मिले और लोगों को अच्छी सेहत देना है।
इसमें जैविक खाद और जैविक kit नाशकों के साथ योग का भी प्रयोग होता है.
- महाराष्ट्र के कृषि विशेषज्ञ बालासो व विष्णु जी बताते है की यौगिक खेती से कैंसर जैसे रोग कम होंगे.
- रासायनिक खाद के दुष्प्रभाव पर अंकुश लगाने के लिए ब्रह्माकुमारीज संस्था ने शाश्वत यौगिक खेती पद्धति की खोज की है।
- हरियाणा में करनाल के किसान इस पद्धति के प्रयोग से लाभांवित हो रहे हैं।
- गुजरात व उत्तराखंड में विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर की गई रिसर्च में साबित हुआ है कि रासायनिक खेती की तुलना में यौगिक खेती ज़्यादा कमाई देने के साथ-साथ पौष्टिक फसल भी देती है।
- यौगिक खेती की तकनीक से श्रेष्ठ संकल्पों का प्रयोग करके अनाज में व्याप्त जहर को खत्म किया जा सकता है।
- इसके शुरुआती परिणाम में जैविक खाद और योग के प्रयोग से पैदावार बढ़कर डेढ़ गुणा हो गई और फसल की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है।
- संगीत , योग , शुभ भावना और राजयोग के द्वारा फसलों में प्राण भरे जाते है.
- इसके लिए शाकाहारी और अहिंसक होना आवश्यक है ताकि फसलों पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव ना हो.
- खेत की जोताई के समय योगिक क्रियाएं की जाती है.योग से सकारात्मक शक्ति स्वयं में भर कर उसे खेत में प्रसारित की जाती है.
- बीज बोने से पहले उसे चौबीस घंटे के लिए ध्यान कक्ष में रखा जाता है और परमात्मा की ऊर्जा को बीज में उतरने का आव्हान किया जाता है.
- पहले रोपनी , निराई -गुड़ाई के समय महिलाएं खेतों में गीत गाया करती थी. गाने के इस प्रभाव को उपयोग में लाने के लिए खेतों में भक्ति भाव वाले गाने बजाये जाते है