असम

असम या आसाम उत्तर पूर्वी भारत में एक राज्य है। असम अन्य उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से घिरा हुआ है। असम भारत का एक सीमांत राज्य है जो चतुर्दिक, सुरम्य पर्वतश्रेणियों से घिरा है। यह भारत की पूर्वोत्तर सीमा २४° १' उ॰अ॰-२७° ५५' उ॰अ॰ तथा ८९° ४४' पू॰दे॰-९६° २' पू॰दे॰) पर स्थित है। संपूर्ण राज्य का क्षेत्रफल ७८,४६६ वर्ग कि॰मी॰ है। भारत - भूटान तथा भारत - बांग्लादेश सीमा कुछ भागो में असम से जुडी है। इस राज्य के उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, पूर्व में नागालैंड तथा मणिपुर, दक्षिण में मिजोरम तथा मेघालय एवं पश्चिम में बंग्लादेश स्थित है।
 असम नाम संस्कृत से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ है, वो भूमि जो समतल नहीं है। कुछ लोगों की मान्यता है कि "आसाम" संस्कृत के शब्द "अस्म " अथवा "असमा", जिसका अर्थ असमान है का अपभ्रंश है। कुछ विद्वानों का मानना है कि 'असम' शब्‍द संस्‍कृत के 'असोमा' शब्‍द से बना है, जिसका अर्थ है अनुपम अथवा अद्वितीय। आस्ट्रिक, मंगोलियन, द्रविड़ और आर्य जैसी विभिन्‍न जातियां प्राचीन काल से इस प्रदेश की पहाड़ियों और घाटियों में समय-समय पर आकर बसीं और यहाँ की मिश्रित संस्‍कृति में अपना योगदान दिया। इस तरह असम में संस्‍कृति और सभ्‍यता की समृ‍द्ध परंपरा रही है।

कुछ लोग इस नाम की व्युत्पत्ति 'अहोम' (सीमावर्ती बर्मा की एक शासक जनजाति) से भी बताते हैं।
कृषि
असम एक कृषिप्रधान राज्य है। १९७०-७१ में कुल (मिजोरमयुक्त) लगभग २५,५०,००० हेक्टेयर भूमि (कुल क्षेत्रफल का लगभग १/३) कृषिकार्य कुल भूमि का ९० प्रतिशत मैदानी भाग में है। धान (१९७१) कुल भूमि (कृषियोग्य) के ७२ प्रतिशत क्षेत्र में पैदा किया जाता है (२०,००,००० हेक्टेयर) तथा उत्पादन २०,१६,००० टन होता है। अन्य फसलें (क्षेत्रपफल १,००० हेक्टेयर में) इस प्रकार हैं- गेहूँ २१; दालें ७९; सरसों तथा अन्य तिलहन १३९। कुल कृषिभूमि का ७७ प्रतिशत खाद्य फसलों के उत्पादन में लगा है। इतना होते हुए भी प्रति व्यक्ति कृषिभूमि का औसत ०.५ एकड़ (०.२ हेक्टेयर) ही है। विभिन्न साधनों द्वारा भूमि को सुधारने के उपरांत कृषि क्षेत्र को पाँच प्रतिशत बढ़ाया जा सकता है।

अन्य उत्पादन
चाय, जूट तथा गन्ना यहाँ की प्रमुख औद्योगिक तथा धनद फसलें हैं। चाय की कृषि के अंतर्गत लगभग ६५ प्रतिशत कृषिगत भूमि सम्मिलित है। आसाम के आर्थिक तंत्र में इसका विशेष हाथ है। भारत की छोटी बड़ी ७,१०० चाय बागान में से लगभग ७०० असम में ही स्थित हैं। १९७० ई॰ में कुल २,००,००० हेक्टेयर क्षेत्र में चाय के बाग थे जिनसे लगभग २१.५ करोड़ कि॰ग्रा॰ (१९७०) चाय तैयार की गई। इस उद्योग में प्रतिदिन ३,७९,७८१ मजदूर लगे हैं, जिनमें अधिकांश उत्तर बिहार तथा पूर्वोत्तर उत्तर प्रदेश के हैं। जूट लगभग छह प्रतिशत कृषियोग्य भूमि में उगाई जाती है। आर्थिक दृष्टिकोण से यह अधिक महत्वपूर्ण है। आसाम घाटी के पूर्वी भाग तथा दरंग जनपद इसके प्रमुख क्षेत्र हैं। १९७० ई॰ में यहाँ की नदियों में से २६.५ हजार टन मछलियाँ भी पकड़ी गईं।

सिंचाई
वर्षा की अधिकता के कारण सिंचाई की व्यवस्था व्यापक रूप से लागू नहीं की जा सकी, केवल छोटी-छोटी योजनाएं ही क्रियान्वित की गई हैं। कुल कृषिगत भूमि का मात्र २२ प्रतिशत ही सिंचित है। १९६४ में प्रारंभ की गई जमुना सिंचाई योजना (दीफू के निकट) इस राज्य की सबसे बड़ी योजना है जिससे लगभग २६,००० हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाने का अनुमान है। नहरों की कुल लंबाई १३७.१५ कि॰मी॰ रहेगी।

अनियमित बारिश से खरीफ खेती प्रभावित, किसान परेशान, इस माह अच्छी बारिश होने का अनुमान

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मानसून पूरे देश पर छा गया है, लेकिन कहीं भारी तो कहीं हल्की बारिश हो रही है। देश का कुछ हिस्सा अभी भी सूखे जैसी स्थिति से जूझ रहा है। इसके चलते खरीफ सीजन की फसलों की बोवाई प्रभावित हुई है, जिससे खेती की रफ्तार पिछले साल के मुकाबले पीछे चल रही है। भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने अगस्त माह में अच्छी बारिश का पूर्वानुमान लगाया है।

भारत में बढ़ी जैविक खेती - कृषि मंत्री

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परंपरागत कृषि विकास योजना ऐसी पहली विस्तृत योजना है, जिसे केन्द्र द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया है। इस योजना का कार्यान्वयन राज्य सरकारें कर रही हैं, जिसका आधार प्रत्येक 20 हेक्टेयर खेत को निर्धारित किया गया है और इसके संबंध में क्लस्टर बनाए गए हैं।
राधा मोहन, कृषि मंत्री

दोगुनी उपज वाली तुअर की रोगमुक्त प्रजाति विकसित

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भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) कानपुर के वैज्ञानिकों ने करीब 7 साल रिसर्च के बाद तुअर की एक नई प्रजाति आईपीए 203 विकसित की है। इसके पौधे किसी भी तरह की बीमारी से मुक्त होंगे। आईआईपीआर ने तुअर के ये खास बीज नेशनल सीड कॉर्पोरेशन और स्टेट सीड कॉर्पोरेशन के साथ बिहार और झारखंड को भी भेजे हैं, ताकि वे अपने यहां किसानो को इस नई प्रजाति आईपीए 203 के बीज उपलब्ध करा सकें। आईआईपीआर के निदेशक डॉ.