kisan
कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से सम्बंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है जो लोग कृषि के कार्य को करके अपनी जीविका उपार्जन करते है उन्हें किसान कहते है
किसानो को निम्न बिन्दुओ से भी जाना जा सकता है
1. जो फसलें उगाते हैं।
2. कृषक (farmer)
3. खेतिहर – खेती करने वाला।
4. जो खेत और फसल में अपना योगदान देते हैं।
5. जिनके पास स्वयं के खेत है और दूसरे कामगारों से काम करवाते हैं, किसान हैं।
6. किसान खेतों में पसीना बहाकर अन्न उपजाते हैं
मोदी ने लगाया बुंदेलखंड के किसानों के जख्मों पर मरहम, 13,304 करोड़ की राहत राशि का किया ऐलान
Submitted by Aksh on 14 April, 2016 - 13:28काफी लंबे समय से सूखे की मार झेल रहे यूपी के बुंदेलखंड को आखिरकार केंद्र की तरफ से मदद मिल ही गई है। मोदी सरकार ने प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से 13,304 करोड़ रुपए की राहत राशी की मंजूरी दे दी है।केंद्र ने राज्य सरकार को है कि यह राशि किसानों के बैंक खातों में एक हफ्ते में पहुंच जानी चाहिए। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में नई दिल्ली में हुई उच्च स्तरीय समिति की बैठक में यह फैसला किया गया।
गेहूं की उपज घटी , किसानों का दर्द छलका
Submitted by Aksh on 6 April, 2016 - 20:20प्रकृति की मार का असर रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं पर साफ नजर आने लगा है। थ्रेसिंग के दौरान गेहूं का उत्पादन काफी कम होने से किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही हैं। किसान यह सोचकर परेशान नजर आ रहा है कि अब साल भर परिवार का पेट कैसे पलेगा। समय से पहले भीषण गर्मी पड़ने और तेज धूप निकलने से खेतों में खड़ी गेहूं की फसल झुलसने लगी है। इससे गेहूं की फसल समय से पहले पक तो गई लेकिन दाना कमजोर और उत्पादन घटने की समस्याएं सामने आने लगी हैं।
धान, दलहन, कपास आदि की बुआई हो सकती है लेट
Submitted by Aksh on 3 April, 2016 - 07:33जिस प्रकार से लगातार बारिश में कमी आ रही है और जलाशयों में भी पानी की कमी हो रही है, उसके साथ ही यदि समय पर मानसून नही आया अथवा बेहतर बारिश नही हुई तो इस साल आगे फसलों की बुआई में देरी होने की संभावना बन रही है. जानकारों का कहना है कि लगातार पिछले दो साल से मानसून कमजोर हो जाने से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है.