युवाओं ने उच्च शिक्षा के बाद पकड़ी खेती की राह , कमा रहे लाखों
पिछले कुछ समय पहले सुनने में आया की बनारस के अभिनव M.B.A. की डिग्री लेने के बाद उन्होंने फूलों की खेती से लाखों कमाए जो एक बड़ी घटना है मेरी गिनती भी कुछ इसी तरह की है मै M .tec. हूँ नौकरी छोड़ने के बाद मै खेती कर रहा हूँ और अपनी पुराणी नौकरी से ज्यादा कम रहा हु साथ ही कई किसानों को खेती की और लेन का सार्थक प्रयास भी कर रहा हूँ मै अपने इन भाइयो को बधाई देना चाहता हूँ साथ ही उन भाईओ से निवेदन करूँगा जो अपना मार्ग भटक कर छोटी मोती नौकरियों में अपना भविष्य तलाश करने की कोशिश कर रहे है कि जैसा की डॉ. आर. कान्त जी अपने हर कार्यक्रम में कहते है की खेती बेरोजगारी का अंतिम विकल्प है जिससे आप तो रोजगार पते है और भी लोगो को आप रोजगार दे सकते है शायद उनका सपना सत्य होते दिख रहा है वे साथ ही अपने नौजवान भाइयो का हमेशा आहवान करतें है वे सभी खेती की और आयें उसे रोजगार बनाएं और लोगो को भी रोजगार दे
इंजीनियरिंग की महंगी पढ़ाई करने के बाद दुर्ग /भिलाई के कुछ बच्चे ने खेती का कम चुना क्योकि उन्हें इस बात का अंदाजा लग गया की आधुनिक तरीकों से खेती में भी हाथ आजमाने पर बड़ी-बड़ी नौकरियों से भी ज्यादा लाभ कमाया जा सकता है।
युवाओं ने शुरू की नयी पहल
इसी बात को समझकर भिलाई के इंजीनियर्स ने खेती-किसानी की राह पकड़ ली है। शहर के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई करने वाले विवेक सोनी और साथियों ने धमधा ब्लॉक के ननकट्टी ग्राम में चार एकड़ जमीन लीज पर लेकर जैविक खेती करना शुरू किया है। यही नहीं उनके इस कदम ने कई लोगों को रोजगार दे दिया है।
केवीआईसी ने किया सहयोग
प्राइम मिनिस्टर इम्पलॉयमेंट जनरेट प्रोग्राम के तहत इन युवाओं ने आवेदन किया। बेहतर आइडिया की वजह से उन्हें केवीआईसी ने दस लाख रुपए का लोन दे दिया। खास बात यह है कि इसमें उन्हें पैंतीस फीसदी सब्सिडी भी मिली। वैसे तो शुरुआती दौर में कई कठिनाइयों से सामना हुआ, लेकिन धीरे-धीरे किसानी की बारीकियां समझ में आने लगी।
किसानों से भी ले रहे सलाह
पेशे से इंजीनियर इन युवाओं ने खेती की बारीकियां सीखने के लिए धमधा ब्लॉक के किसानों से संपर्क किया। कई महीनों तक उनसे किसानी सीखी। उसी तरह इंदिरा गाधी कृषि महाविद्यालय से भी ट्रेनिंग ली। समय-सयम पर किसान कॉल सेंटर पर फोन करके सूचनाएं जुटाई और फसलों को नुकसान से बचाया।
कई लोगों को मिल रहा रोजगार
खेती के जरिए बिजनेस और एंटरप्रेन्योरशिप से न सिर्फ युवाओं फायदा हो रहा है, बल्कि दूसरों को रोजगार भी मिला है। गांव में काम की तलाश कर रहे युवाओं को यहां काम दिया जाता है। उसी तरह उन्हें प्रोडक्ट्स की पैकेजिंग और सेल्स का नॉलेज में मिल रहा है। यही नहीं अब गांव के युवाओं ने भी इनसे सीख लेकर जैविक खेती और उनसे डिफरेंट प्रोडक्ट्स की सेलिंग करना शुरू कर दिया है। युवाओं की इस पहल ने महिलाओं को भी रोजगारपरक बनाया है।