चना

चना एक प्रमुख दलहनी फसल है।चने की ही एक किस्म को काबुली चना या प्रचलित भाषा में छोले भी कहा जाता है। ये हल्के बादामी रंग के काले चने से अपेक्षाकृत बड़े होते हैं। ये अफ्गानिस्तान, दक्षिणी यूरोप, उत्तरी अफ़्रीका और चिली में पाए जाते रहे हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में अट्ठारहवीं सदी से लाए गए हैं, व प्रयोग हो रहे हैं।

चने और मटर फसल चट कर रही इल्ली

चने और मटर फसल चट कर रही इल्ली

चने और मटर फसल चट कर रही इल्ली
मौसम में नमी की मार चना और मटर पर पड़ रही है। 11 डिग्री सेल्सियस तापमान और 70 फीसदी तक नमी ने दोनों फसलों को बीमार कर दिया है। चना पर इल्ली तो मटर पर फलीछेदक और झुलसा का असर दिखने लगा है। फसलों पर फलियां लगती देख किसान कीटनाशक के प्रयोग को लेकर दुविधा में हैं। 

 किसानों को  खेत में रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर पर्णकुंचित पौधे को उखाड़कर गड्डे में डालकर मिट्टी से ढंक दे।

चना, मटर की फसल हो रही बर्बाद, कीटों से बचाने के लिए विशेषज्ञों की राय

चना, मटर की फसल हो रही बर्बाद, कीटों से बचाने के लिए विशेषज्ञों की राय

देश में रबी सीजन की फसलों की बुवाई लगभग खत्म हो गई है. इक्का दुक्का किसान ही खेतों में बुवाई में लगे हुए हैं. देश में चना, मटर की बुवाई भी लगभग पूरी हो चुकी है. चना और मटर सब्जियों में प्रमुख आहार हैं. सर्दी के मौसम में चना, मटर होने पर किसानों को अधिक रखवाली करनी होती है. इस मौसम में फसलें कीट, रोगों की चपेट में आ जाती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि फसल को कीट, रोग से बचाव के लिए जरूरी है कि समय रहते ही फसल के लक्षणों की पहचान कर ली जाए. कीट को भी देखते, परखते रहें. यदि कीट लग गया है तो तुरंत कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर दें. 

चने में लग जाता है फलीभेदक कीड़ा

किसान फटाफट कर लें रबी फसलों की बुआई-सिंचाई

किसान फटाफट कर लें रबी फसलों की बुआई-सिंचाई

खरीफ की फसलों को मौसम ने बेहद नुकसान पहुंचाया. फसल कटान के समय बारिश पड़ने पर किसानों की फसल बर्बाद हो गई थी. अब सीजन रबी फसलों की बुवाई का चल रहा है. आजकल मौसम नरम चल रहा है. मौसम विभाग के अनुसार, 4 से 5 दिन मौसम सापफ रहेगा. उत्तर भारत के कई राज्यों में दिन में तापमान 26 डिग्री सेल्सियस, रात में 15 से 18 डिग्री सेल्सियस रह रहा है. मौसमी आद्रता भी सुबह में करीब 80 प्रतिशत और दोपहर में लगभग 50 प्रतिशत बनी हुई है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट का कहना है कि फसलों की बुवाई और सिंचाई के लिए मुफीद मौसम है. 

किसान ऐसे करें गेहूं की फसल की सिंचाई

गेहूं का रकबा 2.11 करोड़ हेक्टेयर पहुंचा

गेहूं का रकबा 2.11 करोड़ हेक्टेयर पहुंचा

 सर्दी के जोर पकड़ते-पकड़ते गेहूं की बुवाई ने भी देश में गति पकड़ ली है। अभी तक (2 दिसम्बर की स्थिति में) गेहूं की बुवाई  211 लाख हेक्टेयर पार कर गई है, जबकि गत वर्ष इसी अवधि में 200 लाख हेक्टेयर पहुंच पाई थी। वहीं दलहनी फसल में प्रमुख फसल चना भी 112.67 लाख हेक्टेयर में बोया गया है जबकि समान अवधि में गत वर्ष 108.57 लाख हेक्टेयर हो पाया था।

कृषि मंत्रालय द्वारा 2 दिसम्बर को जारी बुवाई की प्रगति के मुताबिक देश में रबी फसलों की बुवाई कुल मिलाकर 450.61 लाख हेक्टेयर हो गई है। रबी का सामान्य क्षेत्रफल 633.80 लाख हेक्टेयर आंका गया है।

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