मसाले

भोजन को सुवास बनाने, रंगने या संरक्षित करने के उद्देश्य से उसमें मिलाए जाने वाले सूखे बीज, फल, जड़, छाल, या सब्जियों को 'मसाला (spice) कहते हैं। कभी-कभी मसाले का प्रयोग दूसरे फ्लेवर को छुपाने के लिए भी किया जाता है।

मसाले, जड़ी-बूटियों से अलग हैं। पत्तेदार हरे पौधों के विभिन्न भागों को जड़ी-बूटी (हर्ब) कहते हैं। इनका भी उपयोग फ्लेवर देने या अलंकृत करने (garnish) के लिए किया जाता है।

बहुत से मसालों में सूक्ष्मजीवाणुओं को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है।

हल्दी की उन्नत खेती

हल्दी एक महत्वपूर्ण मसाले वाली फसल है जिसका उपयोग औषिध से लेकर अनेकों कार्यो में किया जाता है. इसके गुणों का जितना भी बखान किया जाए थोड़ा ही है, क्योंकि यह फसल गुणों से परिपूर्ण है इसकी खेती आसानी से की जा सकती है तथा कम लागत तकनीक को अपनाकर इसे आमदनी का एक अच्छा साधन बनाया जा सकता है. यदि किसान भाई इसकी खेती ज्यादा मात्र में नहीं करना चाहते तो कम से कम इतना अवश्य करें जिसका उनकी प्रति दिन की हल्दी की मांग को पूरा किया जा सकें. निम्नलिखित शास्त्र वैज्ञानिक पद्धतियों को अपना कर हल्दी की खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है.

भूमि का चुनाव

काजू की लाभकारी एवं उन्नत खेती

भूमि:
काजू को विभिन्न प्रकार की भूमियों में उगाया जा सकता है आमतौर पर इसे ढलवाँ भूमि में भूक्षरण रोकने के लिए उगाया जाता है वैसे इसके सफल उत्पादन के लिए गहरी दोमट भूमि उपयुक्त रहती है अधिक क्षारीय मृदाएँ इसके सफल उत्पादन में बाधक मानी गयी है पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्रों में यह बालू के ढूहों पर भी अच्छी तरह उगता पाया गया है जिसमें कोई अन्य फसल नहीं उगाई जा सकती है

सौंफ़ की उन्नत खेती

सौंफ का वानस्पतिक नाम है Foeniculum vulgare । यह व्यावसायिक रूप से एक वार्षिक जड़ी बूटी के रूप में खेती की जाती है, जो एक मोटा और सुगंधित मसाला फसल है। सौंफ़ देश के विभिन्न भागों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। हिंदी में, सौंफ 'saunf' के रूप में जाना जाता है और तमिल में यह perungeerakam 'के रूप में जाना जाता है। भारत में सौंफ के प्रमुख उत्पादन केन्द्रों राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और हरियाणा रहे हैं।

तेजपत्ता ( दालचीनी) की जैविक उन्नत खेती

Kisanhelp.in खेती और कृषि मुद्दों से संबंधित मुद्दों का सामना कर रहे किसानों को कृषि तकनीक को समझने में किसानों की मदद करने वाली वेबसाइट हैं ।

वैज्ञानिक नाम

 

सिनामोममतमाला

 

 कुल

लोरेसी

अन्य नाम

 

दालचीनी, तमालका, इंडियन केसिया

प्राप्ति स्थान

 

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, जम्मू कश्मीर, सिक्किम तथा अरुणाचल प्रदेश

पादप परिचय

 

यह एक सीधा बहुवर्षिय पेड़ होता है इसके पेड़ 100 वर्षो तक उपज देते हैं तथा लागत कम लगा कर अच्छा लाभ मिलता है।

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