मृदा में घट रहे उपजाऊ पोषक तत्व

मृदा में घट रहे उपजाऊ पोषक तत्व

पहले से ही प्रकृति की मार झेल रहे किसानों के लिए मृदा में घट रही पोषक तत्व की मात्रा चिंता का कारण बन रही है। कृषि भूमि में पोषक तत्वों की कमी के चलते उर्वरा शक्ति घट रही है जिसका असर फसल उत्पादन पर पड़ रहा है। जिला मुख्यालय पर एक मात्र मिट्टी परीक्षण प्रयोग शाला में आए नतीजों के आधार पर मृदा में पोषण तत्वों की कमी सामने आ रही है।

कृषि उपज मंडी प्रांगण में मौजूद मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में जून से लेकर अक्टूबर माह के दरम्यान 796 नमूने लिए गए। परीक्षण में सामने आया कि कृषि भूमि में पोटाश पोषक तत्व में बड़ी मात्रा में कमी आई है। जबकि इससे पहले भी नमूनों में पोटाश की कमी सामने आई है। जांच के नतीजों के आधार पर करीब 90 फीसदी तक पोटाश कम पाया गया है। किसानों के खेतों से परीक्षण के लिए लाई जा रही मिट्टी में फसल उत्पादन प्रभावित करने वाले पोषक तत्वों की कमी की पूर्ति को लेकर विशेष प्रयास नहीं हो रहे। हालांकि कृषि विभाग के जिम्मेदार अधिकारी एनपीके खाद करीब 4 हजार टन मौजूद होने की बात कह रहे हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में यूरिया और डीएपी जैसी खाद ज्यादा उपयोग में ला रहे हैं। अच्छा फसल उत्पादन लेने के इच्छुक किसान अपनी जमीन में गड़बड़ा रहे पोषक तत्वों का संतुलन ठीक करने बेहतर प्रयास नहीं कर पा रहे। सबसे ज्यादा समस्या गरीब तबके के किसानों के सामने आ रही है। जिले में रबी फसल का रकबा 2 लाख 39 हजार हैक्टेयर और खरीफ का 2 लाख 40 हजार हैक्टैयर रकबा है। जिले में करीब 2 लाख किसान खेतीबाड़ी से जुड़े है।

मिट्टी से गायब हो रहा पोटाश

मिट्टी में फसल उत्पादन के लिए नाईट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की भूमिका अहम रहती है। गोवर आदि जैविक खाद की जगह रासायनिक खेती को बढ़ावा मिलने से पोटाश तत्व की कमी हो गई है। रासायनिक खादों में पोटाश की खाद ज्यादा महंगी रहने से किसान इसका उपयोग अपेक्षाकृत कम कर रहे हैं जिससे फसल उत्पादन के साथ खेतों से पोटाश गायब हो रहा है। लगातार फसल उत्पादन से पोटाश तत्व की मात्रा घटने के साथ पुनः पूर्ति के उपाय नहीं होने से मिट्टी से पोटाश घट रहा है।

मिट्टी उपजाऊ के ये हैं मानक

मिट्टी के उपजाऊ के लिए फास्फोरस की मात्रा 10 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से कम होने पर लॉ श्रेणी और 10 से 20 किग्रा तक मध्य तथा 20 से ज्यादा हाई आंकी जाती है। नाईट्रोजन प्रति हैक्टेयर 250 किग्रा से कम रहने पर लॉ और 250 से 400 के बीच मध्यम आंकी जाती है। इसी तरह पोटाश की मात्रा नाईट्रोजन के समान निर्धारित है, लेकिन मिट्टी परीक्षण में यह प्रति हैक्टेयर 150 से 200 किग्रा के बीच आ रही है। प्रयोगशाला में हो रहे मिट्टी परीक्षण में उक्त तीनों पोषक तत्वों के अलावा पीएच में अम्लीय और क्षरीय सहित ईसी में घुलनशील लवणों की मात्रा परखी जाती है जो फसल उत्पादन में अहम रहते हैं।

फसल उत्पादन पर प्रभाव

पोटाश के अभाव में पौधों में दाने की चमक फीकी रहना, कीट प्रकोप बढ़ना, पौधों के तनों में मजबूती नहीं रहती। फलस्वरूप पोटाश की कमी से फसल उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है। जबकि नाईट्रोजन से पत्तियां हरी और पौधों में वृद्घि होती है जबकि फास्फोरस से पौधों की जड़ों में वृद्घित होती है। वर्तमान में किसान सबसे ज्यादा यूरिया व डीएपी का उपयोग कर रहे हैं। यूरिया में नाईट्रोजन और डीएपी में 18ः46 के अनुपात में नाईट्रोजन रहता है, लेकिन पोटाश की पूर्ति नहीं हो पाती।

सूक्ष्म तत्वों की नहीं हो रही जांच

जिला मुख्यालय की प्रयोगशाला में मिट्टी परीक्षण के अन्य सूक्ष्म तत्वों का परीक्षण नहीं हो पा रहा। माईक्रो नयूटन एनालाईसिस प्रयोगशााला ग्वालियर संभाग मुख्यालय पर है। इस मिट्टी परीक्षण में जिंक, कॉपर, मैग्नीज और आयरन की जांच होती है। संभावना जताई जा रही है कि जिले की मृदा में उक्त सूक्ष्म तत्व भी घट रहे हैं। उक्त मिट्टी परीक्षण के लिए करीब 15 लाख की मशीन की जरूरत होती है जो सिर्फ ग्वालियर में ही है। ज्ञात रहे मिट्टी परीक्षण के लिए किसानों को नाम मात्रा का शुल्क अदा करना पड़ता है। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के किसानों से प्रति नमूला 3 रुपए और सामान्य सहित ओबीसी वर्ग के किसानों के लिए 5 रुपए निर्धारित है।

मिट्टी परीक्षण के तरीके

परीक्षण हेतु खेत से मिट्टी घासफूस साफ की जाती है। खेत में 5-6 स्थानों से वी आकार के गड्ढे से परीक्षण के लिए 500 ग्राम मिट्टी लेते हैं। परीक्षण के लिए मिट्टी खेत की मेढ़ और छायादार पेड़ के नीचे से नहीं ली जाती। प्रयोगशाला में रासायनिक और मशीनों से परीक्षण कर मिट्टी में पोषक तत्वों की जांच की जाती है।

क्या कहते हैं अधिकारी

प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए आ रहे मिट्टी के नमूनों की जांच करने पर अधिकतर पोटाश की कमी पाई जा रही है। जांच के आंकड़ों के आधार पर मृदा में 90 फीसदी तक पोटाश की कमी आ रही है। राशायनिक के अलावा गोवर खाद, केंचुआ आदि जैविक खादों के उपयोग से पोटाश की कमी पूरी हो सकती है।

भगवतीशरण जोशी, प्रयोगशाला प्रभारी, मिट्टी परीक्षण प्रयोग शाला नानाखेड़ी कृषि उपज मंडी गुना

पोटाश की पूर्ति के लिए एनपीके खाद करीब 4 हजार टन किसानांें को उपलब्ध करा रहे हैं। मिट्टी परीक्षण कराकर किसानों को पोषक तत्वों की पूर्ति की सलाह दी जा रही है ताकि किसान अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकें

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