सब्जियां

फसलों में यैलो मोसिक वायरस लाने की सबसे बडा कारण सफेद मक्खी

फसलों पर वायरस अटैक कर रहा है। इससे पैदावार कम हो रही है और 3-4 दिन के अन्दर पूरे खेत में फैल जाता है और सम्पूर्ण फसल पीली पड़ जाती है। । 90 प्रतिशत से ज्यादा मिर्च की फसल में वायरस को फैलाने में सफेद मक्खी की भूमिका रही है। बीजों का उचित उपचार नहीं किया जाना, साथ ही जानकारी का अभाव, विलंब से मानसून आना। लंबे समय तक पड़ने वाला सूखा भी वायरस को फैलाने में सहयोगी रहा। किसानों द्वारा अंधाधुंध कीटनाशकों का उपयोग, बिना जानकारी के कीटनाशकों के मिश्रण का छिड़काव। किसानों द्वारा लगातार एक ही फसल का लिए जाना। फसल चक्र में बदलाव नहीं करना आदि कारण है। सब्जी की फसलों पर कीटाणु और वायरस अटैक से  

चुकंदर की जैविक खेती

चुकंदर की उपयोगी गुण पोषक तत्वों से समृद्ध है।यह 8-15% चीनी, 1.3-1.8% प्रोटीन, 3-5% कार्बनिक अम्ल, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम, फास्फोरस, आयोडीन, आयरन और मैंगनीज की बड़ी मात्रा में, साथ ही विटामिन सी, बी 1, बी 2 में शामिल, पी, पीपी।गरमी चुकंदर पर अन्य सभी भोजन रसीला सब्जियों से बढ़कर है।यह रस, रक्त को शुद्ध करने में मदद करता पेट और जिगर की गतिविधि को बढ़ावा देने।यह प्रति वर्ष औसतन हर व्यक्ति सब्जियों के कम से कम 6 किलो का उपभोग करना चाहिए के लिए अनुमान है।

गाजर की उन्नत जैविक खेती

गाजर एक महत्वपूर्ण जड़वाली सब्जी की फ़सल है गाजर की खेती पूरे भारतवर्ष में की जाती है गाजर को कच्चा एवं पकाकर दोनों ही तरह से लोग प्रयोग करते है गाजर में कैरोटीन एवं विटामिन ए पाया जाता है जो कि मनुष्य के शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक है नारंगी रंग की गाजर में कैरोटीन की मात्रा अधिक पाई जाती है गाजर की हरी पत्तियो में बहुत ज्यादा पोषक तत्व पाये जाते है जैसे कि प्रोटीन, मिनिरल्स एवं विटामिन्स  आदि जो कि जानवरो को खिलाने पर लाभ पहुचाते है गाजर की हरी पत्तियां मुर्गियों के चारा बनाने में काम आती है गाजर मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, असाम, कर्नाटक, आंध्रा प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा में उगाई जाती हैI

तोरई की उन्नत खेती

लगानें का समय 

ग्रीष्म कालीन फसल के लिए  -  जनवरी से मार्च 

वर्षा कालीन फसल के लिए  -    जून से जुलाई 

 जलवायु

यह हर प्रकार  की जलवायु में हो जाती  है  तोरई के सफल उत्पादन के लिए उष्ण और नम जलवायु उतम मानी गई है भारत में इसकी खेती केरल, उड़ीसा, बंगाल, कर्नाटक और उ. प्र. में विशेष रूप से की जाती है |

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