सब्जियां

करेला की उन्नत खेती

करेला लता जाति की स्वयंजात और कषि जन्य वनस्पति है। इसे कारवेल्लक, कारवेल्लिका, करेल, करेली तथा काँरले आदि नामों से भी जाना जाता है। करेले की आरोही अथवा विसर्पी कोमल लताएँ, झाड़ियों और बाड़ों पर स्वयंजात अथवा खेतों में बोई हुई पाई जाती है। इनकी पत्तियाँ ५-७ खंडों में विभक्त, तंतु (ट्रेंड्रिल, tendril) अविभक्त, पुष्प पीले और फल उन्नत मुलिकावाले (ट्यूबर्किल्ड, tubercled) होते हैं। कटु तिक्त होने पर भी रुचिकर और पथ्य शाक के रूप में इसका बहुत व्यवहार होता है। चिकित्सा में लता या पत्र स्वरस का उपयोग दीपन, भेदन, कफ-पित्त-नाश तथा ज्वर, कृमि, वातरक्त और आमवातादि में हितकर माना जाता है। जलवायु

शिमला मिर्च की उन्नत उत्पादन तकनीक

सब्जियों मे शिमला मिर्च की खेती का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसको ग्रीन पेपर, स्वीट पेपर, बेल पेपर आदि विभिन्न नामो से जाना जाता है। आकार एवं तीखापन मे यह मिर्च से भिन्न होता है। इसके फल गुदादार, मांसल, मोटा, घण्टी नुमा कही से उभरा तो कही से नीचे दबा हुआ होता है। शिमला मिर्च की लगभग सभी किस्मो मे तीखापन अत्यंत कम या नही के बराबर पाया जाता है। इसमे मुख्य रूप से विटामिन ए तथा सी की मात्रा अधिक होती है। इसलिये इसको सब्जी के रूप मे उपयोग किया जाता है। यदि किसान इसकी खेती उन्नत व वैज्ञानिक तरीके से करे तो अधिक उत्पादन एवं आय प्राप्त कर सकता है। इस लेख के माध्यम से इन्ही सब बिंदुओ पर प्रकाश डाला गय

मूली की उन्नत खेती

मूली, सलाद के रूप में उपयोग की जाने वाली सब्जी है। उत्पत्ति स्थान भारत तथा चीन देश माना जाता है। सम्पूर्ण देश में विशेषकर गृह उद्यानों में उगाई जाती है। मूली में गंध सल्फर तत्व के कारण होती है। इसे क्यारियों की मेड़ों पर भी उगा सकते हैं। बीज बोने के 1 माह में तैयार हो जाती है। फसल अवधि 40-70 दिनों की है। सलाद में एक प्रमुख स्थान रखने वाली मूली स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभकारी, गुणकारी महत्व रखती है। साधारणतः इसे हर जगह आसानी से लगाया जा सकता है।
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