मुआवजा या मजाक फसल के नुकसान के लिए 80 रुपये 15 रुपये का चेक

मुआवजा या मजाक फसल के नुकसान के लिए 80 रुपये 15 रुपये का चेक

पंजाब सरकार द्वारा किसानों को नरमा कपास के नुकसान के लिए दिया जा रहा मुआवजा मजाक का विषय बन गया है। तलवंडी तहसील के एक किसान को सवा एकड़ की फसल के नुकसान के लिए 80 रुपये का चेक मिला है। एक किसान को 15 रुपये का चेक मिला है। पंजाब सरकार द्वारा किसानों को नरमा कपास के नुकसान के लिए दिया जा रहा मुआवजा मजाक का विषय बन गया है। किसानों को दिए जा रहे मुआवजे के चेक उन्हें राहत देने के बजाय उनमें तनाव और असंतोष पैदा कर रहे हैं। किसी को सौ रुपये का चेक मिल रहा है तो किसी को 149 रुपये का। तलवंडी तहसील के एक किसान को सवा एकड़ की फसल के नुकसान के लिए 80 रुपये का चेक मिला है। इसके अलावा, एक किसान को 15 रुपये का चेक मिला है। 80 रुपये का चेक मिला, क्लीयरिंग चार्ज के बाद मिलेंगे 55 रुपये तलवंडी के इस किसान हरपाल सिंह की सवा एकड़ में लगी नरमा की फसल सफेद मक्खी चट कर गई। हरपाल सिंह ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से फसल के नुकसान के लिए मुआवजा देने की बात की तो उसे उम्मीद जगी, लेकिन उसके नुकसान का चेक आया तो उस पर यकीन नहीं हुआ। सवा एकड़ की फसल के नुकसान के लिए उसे 80 रुपये चेक मिला। हरपाल के अनुसार, उसका बठिंडा के कॉपरेटिव बैंक में खाता है। उसे मिला मुआवजा का चेक पंजाब नेशनल बैंक की तलवंडी साबो का है। चेक बाहरी शहर का होने पर क्लीरिंग चार्ज (आउट स्टेशन) के रूप में 25 रुपये वसूले जाने के बाद उसके खाते में आएंगे महज 55 रुपये पड़ेंगे। अगर चेक जमा कराने के लिए बठिंडा आने जाने का किराया जोड़ लें तो यह खर्च मिलने वाली रकम से ज्यादा खर्च हो जाएंगे। अकेला हरपाल ही नहीं, ऐसे कई किसान हैं, जिन्हें मुआवजा चेक के नाम पर चंद रुपये के चेक मिले हैं। वह भी इतनी कम राशि के, जिन्हें कैश करवाने के लिए बैंक में खाता खुलवाना पड़े तो उससे ज्यादा रुपये जेब में चाहिए। किसानों के राज्य स्तरीय धरने में चेक लेकर पहुंचे शेरगढ़ के ही हरमीत सिंह ने उसे जारी हुआ 428 रुपये का चेक दिखाया। यह मुआवजा उसकी तीन एकड़ में लगी फसल के नुकसान का है। रामपुरा फूल क्षेत्र के किसान गुलजार सिंह को महज 15 रुपये का चेक मिला है। यानि बैंक तक जाने का किराया इससे कहीं ज्यादा लग जाता है। गांव जीवनसिंहवाला की नसीब कौर को 387 रुपये का चेक दिया गया है। उन्हाेंने बताया कि फिलहाल मुआवजा उन किसानों को दिया गया कि जिनकी फसल सफेद मक्खी ने पूरी तरह खराब कर दी। नरमे की फसल जुताई कर मिट्टी में मिला दी गई है। इन किसानों का आरोप है कि पटवारियों ने गिरदावरी सही नहीं की है। खेत में जाने की बजाय गांवों में बैठक कर फसल के मुआवजे का आकलन कर लिया गया। मुआवजे केरूप में मिले 15 रुपये और 80 रुपये के चेक दिखाते किसान। संगत ब्लॉक के गांव घुद्दा में नरमा की खराब फसल का नाम मात्र मुआवजा मिलने पर किसानों ने बैठक कर विरोध जताया। बैठक में भाजपा किसान मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष रेशम सिंह भुल्लर, सुखमंद्र सिंह, सुरजीत पाल, तेजा सिंह व अन्य का आरोप था कि पटवारी गुरतेज सिंह ने गिरदावरी में भेदभाव किया है। उनका आराेप था कि कई किसानों को उस जमीन पर नरमा की फसल खराब होने पर मुआवजे के चेक दे दिए गए हैं, यहां धान की फसल खड़ी है। वहीं पटवारी ने आरोपों को नकारा है। वहीं आम आदमी पार्टी के बठिंडा जोन के प्रभारी के नरेंद्रपाल सिंह भगता और नील गर्ग ने नाममात्र मुआवजा राशि के चेक जारी करने को किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कना बताया है। एक बैंक अधिकारी से जब पूछा गया कि 15 रुपये वाले किसान को अगर क्लीयरेंस चार्ज देना पड़ा तो उसके पल्ले क्या पड़ेगा। इस पर अधिकारी का जवाब था कि ऐसा चेक लगाने की क्या जरूरत है। चेक शीशे में जड़वा कर यादगार के तौर पर रख लेना चाहिए। बैंक अधिकारियों के अनुसार, ज्यादातर सरकारी कार्यालयों में चेक पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत अधिकारी बदलते रहते हैं। इसी वजह से ये चेक मल्टीसिटी नहीं होते। ऐसे चेक को दूसरे शहर में किसी दूसरी बैंक में कैश करवाने पर चार्ज लगता है। जिनके कई हिस्सेदार, उन्हें कम मिली राहत राशि : डीआरओ जिला राजस्व अधिकारी (डीआरओ) अवतार सिंह का कहना है कि जिले में 2067 एकड़ में नरमा की खड़ी फसल हल चलाकर मिट्टी में मिलाई गई है। इन किसानों को शत प्रतिशत नुकसान मानते हुए आठ हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से एक करोड़ 67 लाख रुपये मुआवजा राशि जारी हुई है किसान गुलजार सिंह को 15 रुपये और हरपाल सिंह को महज 80 रुपये और का चेक मिलने के सवाल पर डीआरओ का कहना था कि जो सांझा खाते हैं या जिनके परिवार के कई सदस्य भागीदार होते हैं, उन्हें मुआवजे का चेक बराबर हिस्से में बांट कर दिए जाते हैं। ऐसे मामलों में कम मुआवजा मिलने की संभावना रहती है।

साभार   दैनिक जागरण