अक्टूबर के दूसरे पखवारे से शुरू करें गेहूँ की बुआई

गेहूँ की बुआई

खराब मॉनसून के चलते जो फसलें खेतों में खराब हो चुकी हैं, उनके नुकसान की भरपाई के लिए बहुत ज़रूरी है कि किसान तुरंत अगली फसल की तैयारी में जुट जाएं, जो फसल खेतों में है उसकी कीटों व रोगों से रक्षा करें साथ ही साथ, इस बात का भी ध्यान रखें की अगले रबी के मौसम में कौन सी फसलें लगानी हैं, उनकी तैयारी शुरू कर दें। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) ने तमाम मौसम व कृषि वैज्ञानिकों की बैठक कराकर, किसानों के लिए कृषि सुझाव जारी किए हैं, जो इस प्रकार हैं :

गेहूँ बुआई की शुरू करें तैयारी

– गेहूँ की असिंचित दशा में बुआई का समय अक्टूबर का द्वितीय पक्ष है अत: गेहूँ की क्षेत्रवार सुझाई गई प्रजातियों एचडी-2888, मंदाकिनी (के-9351), के-9644, गोमती (के-9485) व इन्द्रा (के-8962) के बीज की व्यवस्था कर लें।
– असिंचित दशा में कठिया (ड्यूरम) गेहॅू की सुझाई गई प्रजातियों अरनेज 9-30-1, मेघदूत, विजया यलो जेयू-12, जीडब्लू-2, एचडी-4672, सुजाता तथा एचआई-8627 के बीज की व्यवस्था करें।

फसलों को कीटों व रोगों से बचाएं

– मौसम को देखते हुए अगले सप्ताह रोग एवं कीटों के लिये अनुकूल है अत: फसलों की निगरानी करते रहें। कीट नियंत्रण हेतु पर्यावरण हितैषी उपायों जैसे प्रकाश-प्रपंच, बर्ड पर्चर, फेरोमोन ट्रैप, ट्राइकोग्रामा तथा रोग नियंत्रण हेतु ट्राइकोडर्मा का प्रयोग करें। कीट एवं रोग नियंत्रण हेतु कीटनाशी रसायनों का प्रयोग आखिरी उपाय के रूप में करें।
– धान में भूरा धब्बा एवं झोंका रोग की रोकथाम हेतु एडीफेनफॉस 50 प्रतिशत ईसी 500 मिली अथवा मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लूपी 2.0 किग्रा अथवा जिनेब 75 प्रतिशत डब्लूपी 2.0 किग्रा प्रति हेक्टेअर 500-750 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
– दीमक व जड़ की सूड़ी के नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेअर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करें।
– तना बेधक कीट के नियन्त्रण हेतु कार्बोफ्यूरान तीनजी 20 किग्रा अथवा कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड फोरजी 18 किग्रा 3-5 सेमी स्थिर पानी में बुरकाव करें अथवा क्लोरोपाइरीफॉस 20 प्रतिशत को प्रति हेक्टेयर 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

बनाए रखें फसलों में नमीं

– सूखे की स्थिति को देखते हुए खाद्यान्न, दलहनी एवं तिलहनी फसलों में जीवन रक्षक सिंचाई कर नमी बनाये रखें।
– सूखा के प्रति सहनशीलता बढ़ाने के लिए दो प्रतिशत यूरिया व पोटाश का छिड़काव करें।
– धान में फूल खिलने व दुग्धावस्था में पर्याप्त नमी प्रत्येक दशा में बनाये रखें।
– सब्जी उत्पादकों को सलाह दी जाती है कि वे अल्प अवधि एवं कम पानी में भी अच्छी उपज प्राप्ति हेतु पालक, मूली, गाजर, शलजम, चुकन्दर, मेथी व धनिया आदि की खेती करें।

रबी फसलों की तैयारी

– रबी फसलों के बीमा के लिये कृषि विभाग के अधिकारियों या ब्लॉक स्तर के अधिकारियों से सम्पर्क करें।
– रबी फसलों के बीज ब्लॉक स्तर पर उपलब्ध हैं अत: कृषक रजिस्ट्रेशन कराकर बीज प्राप्त करें।
– उद्यान विभाग औषधि व मसाले की फसलों को बढ़ावा देने के लिये अनुदान दे रहा है