उर्वरकों के अविवेकपूर्ण उपयोग से मिट्टी के बहुपोषक तत्व में आ सकती है कमी

उर्वरकों के अविवेकपूर्ण उपयोग से मिट्टी के बहुपोषक तत्व में आ सकती है कमी

उर्वरकों के अविवेकपूर्ण और असंतुलित उपयोग और जैविक सामग्रियों के वर्षों तक कम उपयोग करने से मृदा स्वास्थ्य की बहुपोषक तत्व में कमी और क्षरण हो सकते हैं। उर्वरकों के अविवेकपूर्ण उपयोग के संबंध में केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल दीर्घ आवधिक उर्वरक प्रयोग पर अखिल भारतीय समन्वित अनुरक्षण परियोजना (एआईसीआरपी) कार्यान्वित कर रहा है। यह प्रमुख फसलन प्रणाली के अंतर्गत विभिन्न मृदा प्रकारों (निर्धारित स्थानों) में मृदा उर्वरता की निगरानी करता है। उन्होंने बताया कि कुछ दशकों के जांच दर्शाते हैं कि अकेले नाइट्रोजीनियस उर्वरक का निरंतर उपयोग लगभग सभी केन्द्रों में फसल पैदावार में सर्वाधिक कमी पैदा करता है और अन्य मुख्य तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दिखाते हुए दीर्घावधि उर्वरता तथा सततता पर खतरनाक ढंग से प्रभाव पड़ा है। एनपीके उर्वरित प्रणाली में भी सूक्ष्म तथा सहायक पोषक तत्व कई वर्षों के बाद भी पैदावार सीमित करने वाले तत्व बन गए हैं तथा अधिक पैदावार क्षमता को बनाए रखने के लिए इसका प्रयोग आवश्यक हो गया है। केवल एनपीके तथा जैविक खादों की उचित मात्रा मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है तथा अधिक सतत फसल पैदावार देता है। उन्होंने किसानों से अनुरोध किया कि सरकार द्वारा चल रही विभिन्न योजनाओं को जिला कृषि अधिकारियों से संपर्क कर तदनुसार यूरिया का उपयोग कम करें। सरकार फार्म यार्ड खाद (एफवाईएम), कम्पोस्ट जैव उर्वरक तथा हरी खाद जैसे पौध पोषक तत्वों के जैविक स्त्रोतों के संयोजन से उर्वरकों का मृदा परीक्षण आधारित संतुलित उपयोग का समर्थन कर रही है। उन्होंने बताया कि मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना/सुदृढ़ीकरण, परीक्षण और संतुलित उपयोग पर प्रदर्शन के माध्यम से उर्वरकों का मृदा परीक्षण आधारित संतुलित और विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) कार्यान्वित किया जा रहा है। इसके अलावा, उर्वरकों का विखण्डित अनुप्रयोग और प्रतिस्थापन, धीमी गति निर्मुक्त एन-उर्वरक और नाईट्रीफिकेशन इन्हीबीटर्स का प्रयोग फलीदार फसलों को उगाना और संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकियों का उपयोग भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा समर्थित है। आईसीएआर इन पहलुओं पर किसानों को प्रशिक्षण भी प्रदान करता है, अग्रणी प्रदर्शन भी आयोजित करता है। सिंह ने कहा कि देश के सभी जिलों को कवर करने के लिए एक नई स्कीम मृदा स्वास्थ्य कार्ड को 12वीं योजना के दौरान कार्यान्वयन हेतु अनुमोदित किया गया है। तीन वर्षों के चक्र में सभी 14 करोड़ परिवारों के लिए बृहद पोषक तत्वों तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों से संबंधित सूचना के साथ मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाया जाएगा। इसके अलावा, यह उर्वरकों और सुधारों के मृदा जांच आधारित उपयोग पर दिशा-निर्देश भी मुहैया कराता है। वर्षा संचित और सिंचित क्षेत्रों के लिए राज्य द्वारा समान मृदा सैम्पलिंग प्रक्रिया अपनाई जाएगी। यह स्कीम आवधिक रूप से प्रत्येक तीन वर्ष में मृदा स्वास्थ्य कार्डों को जारी किए जाने के लिए राज्य सरकारों को सहायता मुहैया कराएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसान अपनी फसलों में पोषक की अपेक्षित मात्रा का उपयोग करें।

Kalwad Times