किसानों का वेतन आयोग कब आएगा ?

देश में नौकर शाही वर्ग के लिए सांतवा वेतन आयोग की सिफारिश हो गई जो की देश की जनसँख्या के 7 से 12 प्रतिशत है लेकिन किसानो के लिए किसी सरकार द्वारा किसी आयोग की व्यवस्था नही की जिनकी  संख्या देश 60 से 70 प्रतिशत है किसान देश की अर्थव्यवस्था में भी 70 प्रतिशत हिस्से दारी रखते है फिर भी प्रत्येक सरकार द्वारा उपेक्षित हैं क्यों ?
मैं पूछता हूँ सभी सरकारी तंत्र से कि नौकरशाही की तरह किसानों की कोई व्यवस्था क्यों नही है प्रतिवर्ष किसानों को भी वृद्दि चाहिए 
परन्तु ऐसा नही हो रहा है किसानो के उत्पादन के मूल्य जस के तस है बाकी सभी वस्तुओं के मूल्य में लगातार वृद्धि हो रही है 
एक तो खेती की लगत लगातार बढती जा रही है वही दूसरी ओर प्राकृतिक आपदाएं किसानों को बरवाद करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका रखती है किसान जैसे तैसे उत्पादन कर भी ले तो उस अपनी फसलों के बाजिब दाम नही मिल पाते 

70 प्रतिशत हिस्से दारी बाले किसानों  का वेतन आयोग कब आएगा ?
दूसरी समस्या है की गन्ना जैसी फसलों के मूल्य न तो सरकारों ने बढ़ाएं है और न ही उनका भुगतान कर रही है 
मूल्य सुनये गेहूं 1500 रूपये /कु. धान 1500 रूपये /कु 
गन्ना 280 रूपये /कु ( अनिश्चित समय के लिए उधार )
ऐसा इस लिए है क्योकि जो लोग मूल्य तय करते है उन्हें खेती कि जानकारी नही है वे लोग व्यापारियों के दलाल है तो जो वे लोग चाहते है वह ही खेती का मूल्य तय होता है यदि किसानो को सही मूल्य चाहिए तो मूल्य निर्धारण करने वाली समिति में 70 % किसानों की भागेदारी कि जाये 
लगत के मुख्य विन्दु 
संपत्ति का वास्तविक मूल्य निकाल कर उस पर प्रति वर्ष  व्याज जो भी सरकार द्वारा निधारित 
जुताई . खुदाई , बीज , सिचाई खाद की लागत जोड़ कर तथा मजदूरी इन सब को जोड़कर प्राक्रतिक आपदाओ की समस्या से निपटने के लिए उपरोक्त लागत का 15% जोड़कर कुल योग में मंदी तक का बीमा ,बारदाना तथा 20 % लाभ सहित विक्रय मूल्य होना चाहिए 
यदि फसल उधार ली ;जा रही हो तो विक्रय मूल्य की तिथि से भुगतान तिथि तक का व्याज ( सरकारी जमाओं के आधार पर ) यदि यह व्यवस्था लागू हो तो ही किसान अपना असितत्व बचा पायेगा नही तो भारत जो की कृषि प्रधान देश कहलाता है उस देश में किसान संग्रहालय में रखने वाली वास्तु बन जायेगा 

डॉ. राधा कान्त