किसानों के लिए कम प्रीमियम पर मिलेगा फसल बीमा योजना

किसानों के लिए कम प्रीमियम पर मिलेगा फसल बीमा योजना

बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद नई फसल बीमा योजना को मंजूरी मिल गई है। इस योजना को मंजूरी मिलने के साथ इस योजना से किसानों पर प्रीमियम का भार कम पड़ेगा साथ ही नुकसान को दावों पर भी तेजी से निपटारा किया जा सकेगा। इसके तहत फसल का नुकसान होने पर किसानों को दावे की 25 फीसदी राशि तुरंत मिल जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कई बिलों पर चर्चा हुई जिसमें से नई फसल बीमा योजना सबसे अहम है। इसमें किसानों को राशि का सिर्फ 2.5 फीसदी हिस्सा देना होगा और फसल का नुकसान होने पर 25 फीसदी राशि तुंरत मिल जाएगी।

बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद नई फसल बीमा योजना को मंजूरी मिल गई है। इस योजना को मंजूरी मिलने के साथ इस योजना से किसानों पर प्रीमियम का भार कम पड़ेगा साथ ही नुकसान को दावों पर भी तेजी से निपटारा किया जा सकेगा। इसके तहत फसल का नुकसान होने पर किसानों को दावे की 25 फीसदी राशि तुरंत मिल जाएगी।

 देश में लगातार दो साल से सूखे की स्थिति के बीच केंद्र ने बुधवार को एक नई फसल बीमा योजना को मंजूरी दी, जिसके तहत किसानों को अनाज एवं तिलहनी फसलों के बीमा संरक्षण के लिए अधिकतम दो प्रतिशत और होर्टिकल्चर तथा कपास की फसलों के लिए अधिकतम पांच प्रतिशत तक प्रीमियम रखा गया है।

यह बहु-प्रतीक्षित योजना - प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना - इस साल खरीफ सत्र से लागू होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दी गई।

नई योजना मौजूदा राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस) और परिवर्तित एनएआईएस की जगह लेगी, जिसमें कुछ अंतर्निहित खामियां हैं।

फसल बीमा की जटिलताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुटकी में सुलझा दिया। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर चली लंबी कवायद के बाद भी मसौदे में कई तरह की खामियां और प्रक्रियागत उलझन रह गई थी।

गेहूं, धान, दलहन व तिलहन की फसलों के लिए अलग-अलग बीमा प्रीमियम की उलझाऊ दरें देख प्रधानमंत्री ने इसे दुरुस्त करने को कहा। लेकिन जब दूसरी बैठक में भी ऐसा नहीं हुआ तो उन्होंने इसे सिर्फ रबी व खरीफ सीजन की फसलों में बांटने का निर्देश देकर मुश्किलें सुलझा दी।

फसल बीमा योजना के मसौदे के प्रावधानों को सरल, सहज और रियायती बनाने के लिए प्रस्ताव कई बार लौटाया गया था। तभी तो प्रधानमंत्री कार्यालय के आला अफसरों के साथ समूचा कृषि मंत्रालय पिछले एक सप्ताह से कड़ी मशत कर रहा था। इसके लिए शनिवार व रविवार के साप्ताहिक अवकाश के दिन भी मंत्रालय खोलकर रखा गया था।

सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की पिछली दो बैठकों में फसल बीमा योजना के मसौदे पर चर्चा तो हुई पर पारित नहीं हो सका। उसके प्रावधानों को ठीक करने की हिदायत के साथ उसे टाल दिया गया। लेकिन पिछली बैठक में कृषि मंत्रालय के प्रस्ताव पर कुछ वरिष्ठ सदस्यों ने इसके राजनीतिक नफा नुकसान का आंकड़ा पेश कर इसे और आसान बनाने की बात कही, जिस पर ज्यादातर लोगों ने हामी भरी। मसौदे के प्रावधानों को लेकर उठे सवालों पर प्रधानमंत्री ने बिना किसी विलंब के प्रीमियम की दर न्यूनतम रखने की बात कहकर फसल बीमा की रास्ता आसान कर दिया।

पूर्ववर्ती अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में तत्कालीन कृ षि मंत्री राजनाथ सिंह ने किसानों के हित में पहली बार फसल बीमा योजना की शुरुआत की। अलग-अलग राज्यों में इसे अपने तरीके से टुकड़े-टुकड़े में लागू किया गया, जिसका प्रभाव बहुत व्यापक नहीं हो सका। मौसम आधारित फसल बीमा योजना का लाभ उसकी मंशा के अनुरूप किसानों को नहीं मिल पाया। नई फसल बीमा योजना को तैयार करने में राजनाथ सिंह ने भी अहम भूमिका निभाई है। तभी तो राजनाथ सिंह भी प्रधानमंत्री फसल बीमा पर सरकार के फैसले का ऐलान करने पहुंचे। उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को किसानों का रक्षा कवच करार दिया।

किसानों की फसल और उनकी सुरक्षा की गारंटी के लिए केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाले राजग ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान वायदा किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि किसानों की फसलें भगवान भरोसे नहीं छोड़ी जा सकती हैं। प्राकृतिक आपदा से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई का बंदोबस्त किया जाएगा। उसी के तहत सरकार के गठन के साथ ही इसकी तैयारियां तेज कर दी गईं थी।

पूर्व के फसल बीमा की प्रीमियम दरों के साथ सरकारी कैप लगाने के बेहद घटिया प्रावधान से प्रधानमंत्री मोदी हतप्रभ थे। इसमें सिर्फ व सिर्फ बीमा कंपनियों का फायदा हो रहा था। प्रीमियम की दरें 15 से 57 फीसद तक होती रही हैं। मौजूदा बीमा योजना में इसे घटाकर डेढ़ व ढाई फीसद कर दिया गया है।

पूर्व के फसल बीमा में प्रीमियम की दर बढ़ जाने की स्थिति में सरकार ने अपनी हिस्सेदारी कम करने के लिए बीमा राशि में ही कटौती करने का प्रावधान कर रखा था। इस तरह के कई अदूरदर्शी प्रावधानों को प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर तत्काल हटा दिया गया है।