किसानों को जैव कीटनाशी दवा पर मिलेगा 50 फीसदी अनुदान

किसानों को जैव कीटनाशी दवा पर मिलेगा 50 फीसदी अनुदान

किसानों को जैव कीटनाशी दवा पर मिलेगा 50 फीसदी अनुदान

फसलों को कीटों से बचाने के लिए किसानों द्वारा धड़ल्ले से हो रहे रासायनिक कीटनाशी दवाओं के प्रयोग से खेतों व पैदावार पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इतना ही नहीं धीरे-धीरे इको सिस्टम पर भी इसका असर हो रहा है। कृषि विभाग ने रासायनिक दवाओं के उपयोग व फसलों के नुकसान को रोकने व जैव कीटनाशी दवाओं का प्रयोग बढ़ाने के लिए अहम कदम उठाया है।

जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि फसलों को बचाने के लिए जैव कीटनाशी दवाओं का अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। जिसके लिए किसान सलाहकारों को विशेष दिशा-निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया कि जैव कीटनाशी दवाओं के प्रयोग से फसलों के दाने भी पुष्ट होते हैं।

साथ ही इको सिस्टम पर भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि रासायनिक कीटनाशी दवाओं के प्रयोग से फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इससे फसलों में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्वों पर भी असर पड़ रहा है। ऐसे में फसलों पर जैव कीटनाशी दवाओं के प्रयोग से उत्कृष्ट व पुष्ट उपज हासिल की जा सकती है। इसके अलावा खेतों की क्षमता भी बरकरार रहती है।

खेती में फैरोमोनट्रैप की क्या है भूमिका

फैरोमोनट्रैप फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को पकड़ने वाला यंत्र है। जिसमें नर कीटों को आकर्षित करने के लिए जैविक तरीके से तैयार की गयी दवा(ल्योर) का इस्तेमाल किया जाता है। ल्योर की सुगंध से कीट फैरोमोनट्रैप यंत्र की तरफ आते हैं और उसमें आसानी से फंस जाते हैं। फसल वाले खेतों में फैरोमोनट्रैप लगाने से बिना कीटनाशी दवा के प्रयोग से ही फसलों को बचाया जा सकता है।

फैरोमोनट्रेप से नष्ट हो जायेंगे कीट

जैव कीटनाशी दवाओं के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा किसानों को 50 फीसदी अनुदान पर कीटनाशी दवा मुहैया करायी जायेगी। वहीं फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को पकड़ने के लिए 90 फीसदी अनुदान पर फैरोमोनट्रैप दिया जा रहा है। फैरोमोनट्रैप को खेतों में लगाने से कीट स्वत: ही आकर फंस जाते हैं। जिससे फसलों में बिना दवा के छिड़काव के ही फसलों को कीटों से बचाया जा सकता है।

किसानों के खाते में सीधे मिलेगा अनुदान

जैव कीटनाशी दवा खरीदने के लिए पहले किसानों को पूरा पैसा लगाकर रजिस्टर्ड डीलर से इसकी खरीदारी करनी होगी। इसके बाद किसान पहचान पत्र, बैंक खाता व दवा खरीद का कैशमेमो कृषि अधिकारी को देंगे। जिस पर विभाग द्वारा डायरेक्ट बेनिफीट ट्रांसफर प्रोग्राम यानि डीबीटी के माध्यम से किसानों के खाते में अनुदान की राशि भेजी जायेगी।