गुजरात में बनेगा दुनिया का पहला गोबर बैंक

गोबर बैंक

बदलाव का प्रतीक बना गुजरात एक और क्रांति का गवाह बनने जा रहा है। श्‍वेत क्रांति यानी दूध की अधिक उपलब्‍धता में सफल मुकाम हासिल करने के बाद आणंद और खेड़ा जिले के किसानों ने गोबर से बायोगैस बनाने की योजना बनाई है। इसके लिए यहां के किसानों ने गोबर बैंक बनाने का प्रस्ताव दिया है।

'गुजरात प्रोग्रेसिव डेयरी फार्मर्स एसोसिएशन' (जीपीडीएफए) के 1500 सदस्यों का इरादा इस तरह का पहला बैंक स्थापित करने का है। इस योजना को अमल में लाने के लिए करीब 400 गांवों से गोबर जमा किया जाएगा। गोबर से बनी बायोगैस को नजदीकी उद्योगों में आपूर्ति के लिए भेज दिया जाएगा।

इससे किसानों की आमदनी बढ़ने के साथ ही गोबर के ढेर और उसकी बदबू से भी छुटकारा मिलेगा। जीपीडीएफए के अध्‍यक्ष भरत पटेल बताते हैं किसानों को दूध से अच्छी कमाई होती है। मगर, मवेशियों के गोबर के निपटारे में समस्या होती है।

इसके लिए हमने गोबर बैंक बनाने के प्रोजेक्ट पर विचार किया, जहां किसान गोबर को बेच सकता है। यहां जमा किए गए गोबर का इस्तेमाल बायोगैस बनाने में होगा। उन्‍होंने बताया कि बायोगैस प्‍लांट पब्‍िलक प्राइवेट पार्टनरशिप के मॉडल पर या कोऑपरेटिव मॉडल पर चलेगा।

बायोगैस प्लांट को पीपीपी मॉडल पर चलाया जाएगा। उन्होंने कहा, 'गोबर से पैदा होने वाली ग्रीन एनर्जी को इंडस्ट्री को बेचा जाएगा और प्लांट में बने बाई प्रॉडक्टस (गौण उत्पादों) को खेती के लिए खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।' -