ग्रीष्मकालीन जुताई से खेत के खरपतवार, कीड़े व बीमारी से निजात

ग्रीष्मकालीन जुताई से खेत के खरपतवार, कीड़े व बीमारी से निजात

अच्छे उत्पादन के लिए मानसून से पहले खेती की तैयारी जरूरी है। हल्की बारिश होने से खेतों में नमी है। ऐसे में खेतों में ग्रीष्मकालीन जुताई कर खरपतवार, कीड़े व बीमारी वाले कीटों को एक साथ नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही खेतों की मिट्टी परीक्षण के लिए यह उपयुक्त समय है। कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र व इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के सहयोग से किसान अपने खेतों की मिट्टी का जांच करा सकते हैं, इससे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व की कमी व अधिकता के बारे में जाना जा सकता है। यह कहना है कृषि वैज्ञानिकों का। मानसून पूर्व खेती की तैयारियों को लेकर नईदुनिया ने कृषि विज्ञानियों से चर्चा की। उनके मुताबिक अच्छी फसल के लिए मानसून खेती की तैयारी बहुत जरूरी है।

मानसून पूर्व ऐसे करें तैयारी

- मिट्टी का सैंपल लेकर कृषि विभाग की मदद से इसकी जांच कराएं।

- हल्की बारिश की नमी का उपयोग कर, खेतों की जुताई।

- ट्रैक्टर से जुताई के लिए दो नस वाली कल्टीवेटर का प्रयोग करें।

- जुताई से निकलने वाले मिट्टी के बड़े ढेलों को ट्रैक्टर अटैच डिस्क चलाकर तोड़ें।

- ट्रैक्टर चलित लेजर बैंड लेबलर की सहायता से भूमि को समतल करें।

- जुताई के बाद 10 से 15 दिन छोड़ दें।

- इसके बाद घूरे का खाद या गोबर खाद को खेतों में पहुंचाएं।

- रसायनिक खाद का इस्तेमाल न करें।

-सूक्ष्म तत्वों का प्रयोग करें 

ग्रीष्मकालिन जुताई जरूरी

बारिश की वजह से खेतों में अभी हल्की नमी है। इस नमी का उपयोग कर किसानों को अपने खेतों में ग्रीष्मकालीन जुताई करनी चाहिए। जुताई के बाद खेत को 10-15 दिन छोड़ देना चाहिए। इससे जमीन के खरपतवार, कीड़े व फसलों में बीमारी पैदा करने वाले अन्य कीट बाहर आ जाएंगे। और सूर्य प्रकाश के संपर्क में आकर ये नष्ट हो जाएंगे।

 

मिट्टी परीक्षण के लिए सही समय

सभी किसानों को अपनी खेत की मिट्टी की जांच करानी चाहिए। इससे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की कमी या अधिकता का पता चलता है। इसके आधार पर मिट्टी के लिए जरूरी उर्वरक इस्तेमाल किया जा सकता है। अभी मिट्टी परीक्षण के लिए उपयुक्त समय है।

डॉ.कृष्ण कुमार, प्रमुख वैज्ञानिक, मृदा विभाग