पशु विज्ञानियों ने जताई ट्रॉमा सेंटर की जरूरत

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) में पशु चिकित्सा क्षेत्र में हुए तकनीकि बदलावों पर गहन चिंतन हुआ। इस दौरान पशु विज्ञानियों ने आइवीआरआइ में ट्रॉमा सेंटर और अल्ट्रासोनोग्राफी सुविधाएं जुटाने पर जोर दिया।

शल्य चिकित्सा विभाग की ओर से डायग्नोस्टिक इमेजिंग एवं वेटनरी शोध विषय में प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। रिमाउंट वेटनरी सर्विस दिल्ली के महानिदेशक लेफ्टीनेंट जनरल डॉ. जगविंदर सिंह ने कहा कि देश के अधिकांश पशु चिकित्सालयों में अल्ट्रासोनोग्राफी और ट्रॉमा सेंटर की सुविधाएं नहीं है। चेन्नई के अस्पतालों में पशुपालकों के लिए यह सुविधाएं उपलब्ध हैं। जिससे दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत पशु चिकित्सा अधिकारियों को पशुओं के इलाज में खासी आसानी होती है। पशुपालकों को भी अपने कीमतों जानवरों के लिए बेहद सस्ता और सुलभ इलाज आसानी से मिल जाता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में हो रहे निरंतर बदलाव और अत्याधुनिक तकनीकि का इस्तेमाल चिकित्सक आसानी से कर सकें इसके लिए शोध संस्थानों को अपने यहां कैप्सूल कोर्स चलाने चाहिए। खासतौर पर पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियों पर पशुपालकों को भी विशेषतौर पर प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।

आइवीआरआइ के निदेशक डॉ. राजकुमार सिंह ने बताया कि शल्य चिकित्सा तक पशुपालकों की आसान पहुंच बनाने के लिए संस्थान जरूरी अत्याधुनिक संसाधन जल्द से जल्द जुटाएगा। उन्होंने वैज्ञानिकों को इमेजिंग तकनीकि में महारत हासिल करने पर भी जोर दिया।

इस दौरान आइजोल विश्वविद्यालय के पूर्व डीन डॉ. गजराज सिंह, डॉ. एनपीएस गहलौत, डॉ. आरपी पांडे, डॉ. अमरपाल, डॉ. एसएस महेंद्रन, डॉ. अभिजीत पावड़े, डॉ. रेखा पाठक, डॉ. अभिषेक सक्सेना, डॉ. वीपी सिंह, डॉ. पी किंजवडेकर, डॉ. आइवी मोगा, डॉ. एके शर्मा और डॉ. नवीन कुमार समेत बड़ी संख्या में शोध छात्र और वैज्ञानिक मौजूद रहे।

साभार दैनिक जागरण