रसायन से खत्म होता जमीन का पोषण

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 फसल से जुड़े तीन चौंकाने वाले परिणाम। रसायनों का अंधाधुंध इस्तेमाल किस कदर हमारी जमीन और सेहत पर असर डाल रहे हैं, ये तो महज उदाहरण भर हैं। उर्वरकों के हानिकारक तत्व फसलों के जरिए हमारे शरीर में पहुंच रहे हैं। नतीजा-जमीन और हमारी सेहत बिगड़ रही है। जमीन की उत्पादन क्षमता घट रही है। रसायन आहिस्ता हमारे शरीर में जहर घोल रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक अधिक उत्पादन की चाह में लोग खेतों में आवश्यकता से अधिक रासायनिक खाद कीटनाशक डाल रहे हैं। इससे जमीन में पोषक तत्वाें में कमी रही है। रासायनिक खाद से जमीन में एक-दो पोषक तत्व मिलते हैं, जबकि फसल की अच्छी पैदावार के लिए 16 तत्वों की जरूरत होती है। रासायनिक खाद के अत्यधिक प्रयोग से ये 16 पोषक तत्व फसल को नहीं मिल पाते। पोषक तत्व की कमी के चलते भूमि की सेहत बिगड़ रही है। रासायनिक दवा के सीमा से अधिक प्रयोग करने से उनके हानिकारक तत्व अनाज में पहुंचकर मनुष्य पशुओं के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डाल रहे हैं। दूषित होती जा रही पैदावार से कैंसर जैसी घातक बीमारियों का खतरा है। रासायनिक खाद कीटनाशक दवा का कम से कम उपयोग ही इसका बचाव है। 
जमीन की सेहत सुधारनी है तो जैविक खाद अपनाएं : कृषिअनुसंधान अधिकारी जेपी मीणा के मुताबिक रासायनिक खाद दवा के अत्यधिक प्रयोग से जमीन के पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। रसायन के हानिकारक तत्व उत्पादन के जरिए लोगों की सेहत पर विपरीत असर डालते हैं। किसानों को चाहिए कि खेत की मिट्टी पानी की जांच कराएं। कृषि विभाग की सिफारिश के आधार पर ही खाद दवा का प्रयोग करें। भूमि को सुधारने के लिए जैविक खाद का उपयोग करें। गोबर का सड़ा हुआ खाद, हरी खाद, वर्मी कंपोस्ट, खली आदि का प्रयोग करना चाहिए।

अनाज में घुलता जहर, कैंसर का खतरा : जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. आरडी मीणा का कहना है कि फसलों में अत्यधिक उर्वरक के प्रयोग से अन्न फल-सब्जी की पौष्टिकता नहीं रहती। फसल जहरीला हो जाता है। इससे कैंसर जैसी कई घातक बीमारियां तक हो सकती हैं।

परीक्षण-1: तिल के नमूनों में डीडीटी के अवशेष : तिल के नमूनों में कीटनाशक के अवशेष पाए गए हैं। पिछले साल दौसा लालसोट मंडी से तिल के नमूने जापान की प्रयोगशाला में विश्लेषित कराए गए थे, जिनमें डीडीटी के अवशेष पाए गए। इसको देखते हुए कृषि विभाग ने तिल के चार सैंपल राजकीय कीटनाशी अवशेष परीक्षण प्रयोगशाला, दुर्गापुरा भेजे थे। वहां भी डीडीटी के अवशेष पाए गए।

परीक्षण-2 : जमीन में नाइट्रोजन की कमी : खाददवा के अंधाधुंध इस्तेमाल से जमीन में नाइट्रोजन की कमी हो रही है। कृषि विभाग के मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में अप्रैल से नवंबर तक मिट्टी के 6682 नमूनों की जांच हुई, जिसमें 5752 में नाइट्रोजन की कमी पाई गई। 2841 नमूनों में फॉस्फोरस की कमी पाई गई। 10 नमूनों में पोटाश की कमी तो 22 नमूने ऐसे हैं जिनमें लवणीयता क्षारीयता अधिक मिली। इससे फसलों की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

परीक्षण-3: पानी में लवणीयता : प्रयोगशाला में पानी के 326 नमूनों की जांच की गई, जिसमें 59 में लवणीयता पाई गई है। एक नमूने में क्षारीयता तथा दो नमूनों में लवणीयता क्षारीयता दोनों पाई गई हैं। पानी में 1 (ईसी) विद्युत चालकता तक सही रहती है। जबकि जिले में कई जगह विद्युत चालकता 8 से 9 ईसी तक पाई गई। ऐसा पानी भी जमीन को खराब कर रहा है।

 

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