शहरी परिवारों में बढ़ रहा है आर्गेनिक खेती का प्रचलन

आर्गेनिक खेती

 शहरों में रहने वाले लोग अब स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सजग है और एेसा लगता है उनके लिए ‘अपने लिए खाने के चीज उपजाआे’ नया मंत्र है। खुद का बगीचा विकसित करने वाले यह लोग अब आर्गेनिक खेती का विकल्प अपना रहे हैं।

यह लोग अपने छोटे से बगीचे में विभिन्न प्रकार के फल और बैंगन, टमाटर, आलू, मिर्च और अन्य सब्जियों की खेती कर रहे हैं। यह लोग अपने दिनचर्या के रूप में आर्गेनिक खेती को लोकप्रिय बनाने में जुटे हैं। फ्रीलांसर 40 वर्षीय आशीष अग्रवाल ने कहा, ‘‘मेरी मां के पास छोटा सजावटी बगीचा था। मेरे बच्चे के जन्म के बाद मैंने इसमें सब्जी की खेती का निर्णय किया। मैं चाहता था कि कम-से-कम मेरे बच्चे को घर में उपजी ताजी सब्जी खाने में मिले। खाने-पीने के चीजों के बढ़ते दाम के साथ उनमें जहरीले तत्वों को देखते हुए मैंने इस आेर ध्यान देना शुरू किया।’’ 

घरों में उत्पन्न कचरे के बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों को एेसी गतिविधियां अपनानी चाहिए जिससे उपलब्ध संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग हो और पर्यावरण पर बोझ न पड़े जिस पर पहले से ही दबाव में हैं। पर्यावरणविद् और जैविक खाद विशेषज्ञ नरेंद्र कुमार ने कहा, ‘‘आप किचेन में उत्पन्न विभिन्न कचरों का उपयोग अपनी छत और बालकनी में बागवानी में कर सकते हैं। खेती की प्रक्रिया बेहद आसान और और लागत बहुत कम है।’’ 

तिहाड़ कैदियों के लिये कचरा विशेषज्ञ के रूप में भी काम कर रहे नरेंद्र कुमार का विचार है कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का अगला कदम कचरा प्रबंधन होना चाहिए।  उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में सालाना 8,000 से 10,000 टन कचरा पैदा होगा और इसके प्रबंधन में बड़ी राशि खर्च होती है। आखिर हम एेसी प्रणाली क्यों नहीं डिजाइन कर सकते जिसमें कचरे का उपयोग और धन की बचत में मदद मिले? हमें स्वयं से पूछना चाहिए कि स्वच्छ अभियान के बाद आगे हम क्या करेंगे? कचरा प्रबंधन इस अभियान का अगला कदम है।’’  

कुमार ने कहा, ‘‘तिहाड़ में कैदी 4 से 5 टन आर्गेनिक कचरा उत्पन्न करते हैं। उन्होंने पिछले साल किचन के कचरे से तैयार कंपोस्ट को किसानों को बेचा।’’ छत या छज्जे पर आर्गेनिक खेती के लिए न्यूनतम जगह 50 से 80 सेंटीमीटर जगह की जरूरत होती है, इस प्रकार की खेती के शौकीन अब विभिन्न किस्मों तथा जगह के साथ प्रयोग कर रहे हैं।  

एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ राखी चौधरी ने कहा, ‘‘मैंने जमीन के छोटे से हिस्से में फलों के पेड़ लगाने शुरू किए लेकिन अब मैं अपने मकान के पीछे आर्गेनिक बगीचे के लिए 1,500 वर्ग फुट जगह का उपयोग कर रही हूं। मैंने शुरू में शौक के रूप में इसे शुरू किया लेकिन अब मनोभाव से यह कर रही हूं। मैंने लगभग बाजार से सब्जियां खरीदना बंद कर दिया है।’’  PUNJABKESARI